Ram Mandir Darshan: भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 की गई हैं. भगवान राम अपने दिव्य मंदिर में विराजमान भी हो गए हैं. बालस्वरूप रामलला की प्रतिमा राम मंदिर में विराजमान की गई है. जिसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है और यह प्रतिमा इतनी अद्भुत और अलौकिक है जिसको देख करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त जुट रहे हैं. 


बालस्वरूप रामलला की प्रतिमा अरुण योगीराज ने बनाई है. इस प्रतिमा को बनाने के लिए 9 महीने का वक्त भी लगा है. इस प्रतिमा की सबसे खास बात यह है कि जब आप दर्शन करेंगे तो आपको मुस्कुराते हुए रामलाल दिखाई देंगे. उनके नेत्र इतनी अद्भुत और अलौकिक है जो हर किसी राम भक्तों के मन को मोह ले रही है. 


9 महीने का लगा वक्त
अरुण योगीराज के साथ मूर्ति बनाने में विश्व हिंदू परिषद के कई कार्यकर्ता सहयोग करने में लगे हुए थे. जिसमें से एक सुमधुर शास्त्री हैं जो पूरे 9 महीने का वक्त उन्होंने रामलला की प्रतिमा बनाते हुए देखा है. वो कहते हैं कि यह प्रतिमा इतनी अद्भुत और अलौकिक है जो भी रामभक्त दर्शन कर रहा है वह रामलला को देखता ही रह जा रहा है. रामलला की नेत्र को बनाने के लिए सोने की छीनी और चांदी की हथौड़ी का प्रयोग किया गया है. 


नेत्र को बनाने में मात्र 20 मिनट का वक्त लगा है. भगवान राम की नेत्र कितनी अदभुत और अलौकिक है जिसकी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है. आप कहीं से भी प्रभु श्री राम का दर्शन करेंगे तो आपको ऐसा एहसास होगा कि रामलला आपको ही देख रहे हैं. इतनी अद्भुत और अलौकिक प्रतिमा अरुण योगीराज ने बनाई है. प्रतिमा बनाने के दरमियान कई घटना भी घटी है.


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रामलला का दर्शन कर चले गए
इसकी चर्चा करते हुए कहते हैं कि जब रामलला की प्रतिमा बना रहे थे तब हनुमानजी के रूप में वानर राज आते थे, रामलला का दर्शन करके चले जाते थे. यह रोजाना शाम को 5:30 बजे से और 6:00 बजे के बीच आते थे. यह घटना सत्य घटी हुई है क्योंकि जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई उसके दूसरे दिन ही जब राम भक्तों के लिए मंदिर को खोला गया. 


उसी दिन रामलला का दर्शन करने के लिए वानर रूप में हनुमानजी रामलला के गर्भ गृह में आए हुए थे. वह लगभग 5 मिनट तक की रामलला की प्रतिमा को देखते रहे. थोड़ी देर बाद ही वह चुपचाप उठ करके राम भक्तों के बीच में से चले गए. यह सत्य घटना घटी है 23 जनवरी 2024 को जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.