अयोध्या. अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के मंदिर निर्माण स्थल पर 400 फीट लंबे और 300 फीट चौड़े क्षेत्र में लगभग 6 लेयर की बुनियाद का काम पूरा हो चुका है. मंदिर की भव्यता को बढ़ाने के लिए अलग-अलग हिस्सों के लिए तरह-तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा. मंदिर का बेस प्लिंथ, शिखर सहित मंदिर व परकोटे तीनों में अलग-अलग पत्थरों का प्रयोग होगा. मंदिर का बेस प्लिंथ के लिए 4 लाख क्यूबिक पत्थर मिर्जापुर की खदानों का उपयोग में लाया जाएगा जबकि बेस प्लिंथ पर शिखर सहित अन्य कार्य राजस्थान के बंशी पहाड़पुर के पत्थरों से होगा. इसके लिए 1 लाख घन फिट पत्थर अब तक तराशे जा चुके हैं. वहीं पूरे मंदिर की सुरक्षा के लिए 5 एकड़ भूमि के चारों तरफ परकोटे का निर्माण होगा, जिसमें किन पत्थरों का प्रयोग होगा इस पर सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन पांच अलग-अलग तरह के पत्थरों को प्रयोग करने पर मंथन जारी है.


2024 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि साल 2024 तक राम मंदिर निर्माण के पूरा होने का लक्ष्य है. इसलिए कोविड-19 में हुई देरी की भरपाई के लिए 2 शिफ्टों में 18 से 20 घंटे कार्य चल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि 400 फीट लंबे और 300 फीट चौड़े क्षेत्र में लगभग 6 लेयर पड़ चुकी है.


मिर्जापुर से मंगाए लाल पत्थर
बता दें कि मंदिर के बेस प्लिंथ के लिए मिर्जापुर से लाल पत्थर मंगाए गए हैं. निश्चित आकार के पत्थरों को रामजन्म भूमि परिसर में बने कार्यशाला में तराशा जाएगा. दिसंबर में मंदिर का बेस प्लिंथ बनाने का काम शुरू हो जाएगा. मंदिर निर्माण में गति बनी रहे इसके लिए दो शिफ्ट में मजदूरों से काम कराया जा रहा है.


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