प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए बरसों से इंतज़ार कर रहे रामभक्तों को 21 जनवरी को प्रयागराज के माघ मेले से बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। उम्मीद है कि देश के तमाम साधू -संत 21 जनवरी को माघ मेले में होने वाले संत सम्मेलन में मंदिर के शिलान्यास की तारीख का एलान कर सकते हैं और इस बारे में केंद्र सरकार व प्रस्तावित ट्रस्ट से उसे मानने का अनुरोध कर सकते हैं। यह संत सम्मेलन विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से माघ मेले में ही आयोजित किया गया है, जिसमे देश के तमाम प्रमुख साधू -संत शामिल होंगे।
संत सम्मेलन से एक दिन पहले 20 जनवरी को वीएचपी की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की अहम बैठक भी यहां होनी है। सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक, वीएचपी और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों ने शिलान्यास के लिए दो अप्रैल की तारीख तय कर ली है। 20 जनवरी की बैठक में उसपर औपचारिक तौर पर मुहर लगनी है, जबकि 21 जनवरी को होने वाले संत सम्मेलन में उसका सार्वजनिक ऐलान होना है। दो अप्रैल को ही रामनवमी पड़ रही है, इसलिए संत चाहते हैं कि रामलला के भव्य मंदिर की शुरुआत इसी ख़ास दिन से हो। सरकार और प्रस्तावित ट्रस्ट संतों के फैसले का सम्मान करते हुए दो अप्रैल को ही शिलान्यास करें, इसके लिए सरकार और संघ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण लोगों को भी इन आयोजनों में शामिल होने का न्योता दिया गया है।
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद विश्व हिन्दू परिषद का यह पहला बड़ा आयोजन है। इसके तहत माघ मेले में 20 जनवरी को वीएचपी के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक होनी है। यह बैठक सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक दो सत्रों में चलेगी। बैठक में राम मंदिर के साथ ही देश में समान नागरिक क़ानून लागू किये जाने और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनाए जाने की भी मांग की जाएगी। इसके साथ ही गाय और गंगा पर भी चर्चा होगी। इस दिन जो एजेंडा तैयार होगा, अगले दिन संत सम्मेलन में संतों से इस फैसले पर मुहर लगवाई जाएगी। दोनों ही कार्यक्रम माघ मेले में वीएचपी के पंडाल में होंगे। मार्गदर्शक मंडल की बैठक में सिर्फ इनके सदस्यों को ही शामिल होने का मौका मिलेगा, जबकि संत सम्मेलन में संतों के साथ ही आम लोग भी शामिल हो सकते हैं। यह ओपन सेशन होगा।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ खुद भी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य हैं। उनके साथ ही संघ और सरकार से जुड़े कुछ लोगों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों ही दिन सबसे पहले पीएम मोदी और उनकी सरकार का धन्यवाद किया जाएगा। संदेश यह दिया जाएगा कि पीएम मोदी और केंद्र सरकार के सकारात्मक रुख और मजबूत पैरवी के चलते ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के हक में आया है। वीएचपी के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने इस जानकारी पर मुहर भी लगाई है।
वैसे अंदरखाने चर्चा यह भी है कि माघ मेले में इन दो बड़े आयोजनों के ज़रिये वीएचपी मंदिर निर्माण में अपनी भूमिका भी तलाशना चाहता है। दरअसल, वीएचपी ने 30 साल पहले ही राम मंदिर का मॉडल भी तैयार करा लिया था। इसी मॉडल को वह बरसों से अलग-अलग जगहों पर राम भक्तों के सामने पेश भी करता रहा है। वीएचपी की कोशिश है कि प्रस्तावित ट्रस्ट उसके इसी मॉडल के आधार पर ही मंदिर निर्माण शुरू कराए। संगठन की दलील है कि इसी मॉडल के आधार पर 70 फीसदी पत्थर तराशे जा चुके हैं। इसे न अपनाने से काफी देर हो सकती है। दूसरा यह कि वीएचपी प्रस्तावित ट्रस्ट में अपने संगठन से जुड़े लोगों व कुछ संतों को भी जगह दिलाना चाहेगी। मायने भले ही कुछ भी हों, लेकिन यह कहा जा सकता है कि राम मंदिर के लिए बरसों से इंतजार कर रहे राम भक्तों को 21 जनवरी को माघ मेले से खुशखबरी मिल सकती है और अगर सरकार व ट्रस्ट ने यहां के फैसले पर मुहर लगा दी तो दो अप्रैल से मंदिर का निर्माण भी शुरू हो सकता है।
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