Gorakhpur News: सोमवार की शाम माह-ए-रमज़ान का चांद देखा गया. उलमा किराम ने माह-ए-रमज़ान के चांद देखने का ऐलान किया, जिसके साथ रमज़ान शरीफ का पहला अशरा 'रहमत' का शुरु हो गया. मंगलवार को पहला रोज़ा रखा जाएगा और एक महीने बाद खुशियों का त्योहार ईद परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा. पहला रोज़ा करीब 13 घंटा 18 मिनट का होगा. जो माह-ए-रमज़ान का सबसे छोटा रोजा होगा. रमजान को लेकर लोगों में काफी उत्साह है.


चांद के ऐलान के साथ शहर की फिजा में रौनक छा गई. मुस्लिम समाज में हर ओर खुशियां फैल गईं. सभी ने एक-दूसरे को रमज़ान शरीफ की मुबारकबाद पेश की. सोशल मीडिया पर मुबारकबाद के मैसेज फैलने लगे. अकीदतमंदों ने सोशल मीडिया के फेसबुक व वाह्टसएप प्रोफाइल पिक्चर बदल कर रमज़ान शरीफ का वॉल पेपर लगाया. सभी अल्लाह तआला की इबादत में जुट गए. सभी ने अपने गुनाहों की माफी मांगी और अल्लाह की खास रहमत का अहसास किया. 


 तरावीह की विशेष नमाज शुरु
सोमवार को चांद के साथ ही तरावीह के नमाज़ की तैयारी शुरु हो गई. मस्जिदों में पुरुषों ने तरावीह की नमाज़ पढ़ी. घरों और मस्जिदों में क़ुरआन शरीफ की तिलावत शुरु हो गई. घरों में महिलाओं ने तरावीह की नमाज़ पढ़ी और अन्य इबादत की. नमाज़, तिलावत, तस्बीह व दुआ का सिलसिला चल पड़ा. जो लगातार एक माह तक जारी रहेगा. लोगों ने अल्लाह की हम्दो सना की और अल्लाह की इबादत में लग गए.


एक माह तक रौनक रहेगी बरकरार
तरावीह की नमाज खत्म होने के साथ ही लोग मंगलवार से शुरु होने वाले रोजे की सहरी व इफ्तार की तैयारियों में जुट गए. चांद दिखने के बाद सहरी की तैयारी ने बाजारों की चांदनी बढ़ा दी. तुर्कमानपुर, जाफरा बाजार, नखास चौक, घंटाघर, इलाहीबाग और गोरखनाथ जैसे इलाकों में सहरी और इफ्तारी के सामानों के लिए पहले सी सजी दुकानों पर खासी भीड़ देखने को मिली. मोहल्ले के नुक्कड़ भी लोगों के उत्साह से लबरेज दिखे. कहीं सेवइयां खरीदी जा रही थीं तो कहीं खजूर. सेवइयां व खजूर की क्वालिटी को लेकर लोग संजीदा दिखे. यह रौनक पूरे एक माह तक बरकरार रहेगी.


यहां पढ़ी गई तरावीह की नमाज
सोमवार को शहर व देहात की सभी मस्जिदों व कुछ मदरसों में तरावीह की 20 रकात नमाज़ अदा की गई. मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, मस्जिदे बेलाल (दरगाह हजरत कंकड़ शाह) निकट रेलवे म्यूजियम सिविल लाइन, लाल जामा मस्जिद गोलघर, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार, सहित जिले की सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ अदबो एहतराम के साथ अदा की गई. मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया, दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद, हजरत कंकड़ शाह मस्जिदे बेलाल में नमाज़ियों की भीड़ उमड़ी.


'उलमा किराम क्या कहा'
बेलाल मस्जिद अलहदादपुर मस्जिद के इमाम कारी शराफत हुसैन क़ादरी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम के सबसे पाक माह रमज़ान की शुरुआत चांद के दीदार के साथ होती है. रमजान शरीफ का महीना दीन-ए-इस्लाम में खास अहमियत रखता है. इस माह में दीन-ए-इस्लाम के मानने वाले लोग पूरा महीना रोज़ा रखते हैं. अल्लाह की इबादत करते हैं. इस पाक महीने मे रोजा रखने वाले रोजादार सुबह सादिक से पहले तक सहरी करके रोज़ा की नीयत करके रोज़ा रखने की शुरूआत करते है. शाम को सूरज ढ़लने के बाद इफ्तार करते हैं.


'रोजा न रखना बहुत बड़ा गुनाह'
मदरसा रजा-ए-मुस्तफा के शिक्षक मौलाना मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में बेहद खास है माह-ए-रमज़ान. हर बालिग मुसलमान मर्द व औरत जो अक्ल वाला व तंदुरुस्त हो उस पर माह-ए-रमज़ान का रोजा रखना फर्ज है. जो मुसलमान रोजा नहीं रखता है वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहता है. रोजा न रखने पर वह शख्स अल्लाह की नाफरमानी करता है. रोज़ा न रखना बहुत बड़ा गुनाह है. रोजा का इंकार करने वाला दीन-ए-इस्लाम से खारिज है. माह-ए-रमज़ान बहुत ही रहमत व बरकत वाला महीना है. 


'इसी महीने क़ुरआन शरीफ उतारी गई'
मकतब इस्लामियात के शिक्षक हाफिज सैफ अली ने बताया कि रमज़ान शरीफ में अल्लाह ने बंदों की रहनुमाई के लिए अपनी पाक किताब कुरआन शरीफ उतारी. इस महीने मे नफ्ल नमाज अदा करने पर अल्लाह फर्ज नमाज़ अदा करने के बराबर सवाब और फ़र्ज़ नमाज़ अदा करने पर सत्तर फर्ज नमाजों के बराबर सवाब अता करता है. इस माह कसरत से जकात, सदका व फित्रा निकालना चाहिए ताकि गरीब, यतीम बेसहारा सभी रमजान शरीफ व ईद की खुशियों में शामिल हों सकें. अगर किसी शख्स ने एक रोज़ेदार को इफ्तार कराया तो उस शख्स को भी उस रोजेदारों के बराबर सवाब मिलेगा. 


ये भी पढ़ें: Gorakhpur Hit And Run News: गोरखपुर में तेज रफ्तार का कहर, तीनों लोगों को पीछे से मारी टक्कर, दो की मौत, एक की हालत नाजुक