लखनऊ. भगवान श्रीराम के पूरे जीवनकाल को जानने-समझने के लिए अब शहर-शहर भटकने की जरूरत नहीं है. एक ही स्थान पर प्रभु राम के भव्य और दिव्य दर्शन कराए जाएंगे. इसके लिए अयोध्या और लखनऊ के बीच रामसनेही घाट में 10 एकड़ भूमि पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के ‘रामायण संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र’ की स्थापना की जाएगी. परिसर में भारत समेत रूस, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड देशों की कठपुतली के माध्यम से रामायण की प्रस्तुति होगी. साथ ही मधुबनी, अवध, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, श्रीलंका के व्यंजनों वाली रसोई का संचालन भी होगा. ठहरने के लिए कमरे और पूजा-पाठ के लिए प्रभु श्रीराम मंदिर का निर्माण किया जाएगा.


सीएम योगी की ‘रामायण संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र’ की परिकल्पना साकार रूप लेने जा रही है. इसके लिए लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर बीच में लखनऊ से 54 किमी और अयोध्या से 64 किमी पर करीब 10 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है. परिसर में रामायण-कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक व्यंजन, रामायण विश्व यात्रा वीथिका, ‘राम वन गमन मार्ग’, रामायण आधारित कला वीथिका, रामायण आधारित पुस्तकालय, शोध और प्रकाशन केंद्र, कठपुतली के माध्यम से रामायण की प्रस्तुति, रामलीलाओं की प्रस्तुतियां, रामलीला प्रशिक्षण केन्द्र के साथ-साथ सोवेनियर शाप्स के रूप में भी रामायण की हस्तकला का विशेष केन्द्र स्थापित होगा.


100 साल की आवश्यकता को ध्यान में रखकर होगा निर्माण
परिसर में प्रदेश, देश-विदेश के श्रृद्धालु और पर्यटकों के ठहरने की भी व्यवस्था होगी. इसके लिए कुछ बड़े कमरे, समूह यात्रियों के लिए कमरे, कुछ डारमेट्री और कुछ एकल कक्ष बनाए जाएंगे. प्रशासनिक नियंत्रण के लिए चार बड़े कमरे बनेंगे. यात्रियों को अल्प विश्राम के दौरान सुबह और शाम सामूहिक भजन की सुविधा होगी. करीब 100 साल की आवश्यकता के अनुसार 50 वर्ष के लिए मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था होगी. लगभग 20-20 महिला और पुरुष शौचालय बनेंगे.


पहले रामलीला का मंचन होगा शुरू
संस्कृति विभाग के निदेशक शिशिर ने बताया कि ‘रामायण संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केंद्र’ की स्थापना के लिए बाराबंकी के ग्राम-भवनियापुर खेवली में भूमि मिल गई है. डीपीआर आईआईटी खड्गपुर तैयार कर रह रहा है. इसके बाद ही परियोजना की लागत का पता चलेगा. हालांकि उम्मीद है कि करीब डेढ़ सौ करोड़ की परियोजना हो सकती है. मंच बनवाकर पहले रामलीला का मंचन और कुछ लोक व्यंजन की शुरूआत करेंगे. इसका संचालन अयोध्या शोध संस्थान करेगा.


यह हैं विशेषताएं




  • रामायण विश्वयात्रा वीथिका : राम की संस्कृति से संबंधित तस्वीरों, वीडियो को रोचक तरीके से और वर्चुअली दिखाया जाएगा

  • राम वनगमन मार्ग : राम जानकी और राम वनगमन मार्ग के रूप में 280 स्थलों का वर्चुअल और वीडियो दिखाया जाएगा

  • रामायण आधारित कला वीथिका : लोक चित्रशैली, लघु चित्र शैली और आधुनिक चित्र शैली में रामायण के चित्रों की वीथिका का निर्माण किया जाएगा

  • हस्तशिल्प में रामकथा : देश के सभी हस्तशिल्प माध्यमों टेराकोटा, कास्ट, धातु, पेपर मैसी, वस्त्र और पत्थर आदि सभी शैलियों में हस्तशिल्प उपलब्ध हैं, जिनकी राज्यवार प्रदर्शनी लगाई जाएगी और सोविनियर शाप्स के रूप में बिक्री की जाएगी

  • रामायण आधारित पुस्तकालय, शोध और प्रकाशन केन्द्र : भारत और विश्व की सभी भाषाओं में रामायण और अन्य प्रकाशित कार्यों को प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही बिक्री के लिए भी दिया जाएगा

  • कठपुतली के माध्यम से रामायण की प्रस्तुति : एक लघुमंच पर नियमित अन्तराल पर कठपुतली में रामायण की प्रस्तुति की जाएगी.

  • सबरी व्यंजन आश्रम/सीता रसोई : राम वनगमन और राम जानकी मार्ग के प्रमुख व्यंजनों मधुबनी, अवध, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, श्रीलंका आदि के व्यंजनों वाली रसोई का संचालन किया जाएगा.

  • पूजा स्थल : भगवान राम के मन्दिर का निर्माण भी कराया जाएगा, जहां पर यात्री दर्शन और पूजा कर सकेंगे.

  • पंचवटी : वन क्षेत्र में रामायणकालीन वृक्षों का आयताकार रूप में अलग-अलग पौधरोपण होगा.

  • सोविनियर शाप्स : विशेष रूप से देश-विदेश के पर्यटकों और श्रृद्धालुओं के लिए सोविनियर शाप्स बनाई जाएगी, जिसमें ग्रामीण श्रद्धालुओं और अतिविशिष्ट लोगों के लिए अलग-अलग वस्तुएं बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगी.


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