पुनर्वास विश्विद्यालय के दीक्षांत समारोह में रामभद्राचार्य बोले, 'जिससे राष्ट्र का मंगल होता उसे राम कहते'
पदम् विभूषण रामभद्राचार्य ने पुनर्वास विश्विद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोलते हुये कहा कि जिस नाम से राष्ट्र का मंगल हो उसे राम कहते हैं। उन्होंने कहा कि राम का अर्थ है 'र' से राष्ट्र और 'म' से मंगल।
लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 112 मेधावियों को मेडल देकर सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय के 1001 छात्र-छात्राओं को इस मौके पर डिग्री प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह में पदम् विभूषण जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य और जयपुर की महावीर विकलांग सहायता समिति के संस्थापक डीआर मेहता को विश्वविद्यालय की मानद उपाधि दी गयी।
दीक्षांत समारोह में एमएससी की छात्रा विधि पांडेय को कुलाध्यक्ष स्वर्ण और एमए की छात्रा निशा लोधी को मुख्यमंत्री स्वर्ण पदक दिया गया। इस मौके पर पदम् विभूषण जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने दीक्षांत भाषण में कहा कि उन्होंने जेआरएफ, पीएचडी होने के बाद भी यूनिवर्सिटी की चार दिवारी में खुद को नहीं बंधने दिया। कहा कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं प्रसाद है। उन्होंने कहा की मैंने दृष्टिबाधित होते हुए भी 210 पुस्तकें लिखी, विश्वविद्यालय चला रहा दिव्यांगों का। शिक्षक का धर्मं अपनी विद्या का राष्ट्र के लिए उपयोग करना है। स्वामी रामभद्राचार्य ने राष्ट्र देवो भवः की बात कहते हुए अपने राष्ट्र को देवता मानने की सीख दी। साथ ही बताया कि सीएम योगी को भी कार्यक्रम में आना था लेकिन राम जन्मभूमि पर आने वाले फैसले की वजह से व्यस्त होने के चलते नहीं आ पाये। उन्होंने कहा की सभी कान खोलकर राम का अर्थ सुन लें।
राम का अर्थ हैं 'र' से राष्ट्र और 'म' से मंगल। जिससे राष्ट्र का मंगल होता उसे राम कहते। वहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि दिव्यांगों में विशिष्ट प्रतिभा होती है। हमें कौशल विकास कार्यक्रमों से दिव्यांगों को आगे बढ़ाना होगा। ये विवि निशक्तता के विभिन्न पक्षों पर शोध कर परिणामों से सरकार को अवगत कराये। कार्यक्रम में दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री अनिल राजभर, विवि के कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह, अपर मुख्य सचिव महेश गुप्ता, कुलसचिव अमित सिंह भी मौजूद रहे।
दीक्षांत समारोह के बाद अपर मुख्य सचिव महेश गुप्ता में विश्वविद्यालय में बन रहे लिम्ब सेंटर के नए भवन और हॉस्टल का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया की विश्विद्यालय में 2015 से छोटे स्तर पर लिम्ब सेंटर चल रहा है जहां पैरों से दिव्यांग लोगों को नकली पैर दिए जाते हैं। नए सेंटर में इसके अलावा दिव्यांगों की हर ज़रूरत को पूरा करने के साथ ही शोध भी कराया जायेगा। जो लोग इलाज के लिए आएंगे उनके और साथ आने वालों के लिए हॉस्टल सुविधा भी मिलेगी।