Ramcharitmanas Controversy: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के एमएलसी और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर विवादित टिप्पणी के बाद बयानबाजी बढ़ती जा रही है. एमएलसी ने तुलसीदास (Tulsidas) द्वारा रचित रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है. इसके बाद बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने एक साथ सपा पर जुबानी हमला बोला है. 


कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सपा एमएलसी के बयान को घटिया बताया है. कांग्रेस नेता ने कहा, "प्रतिबंध इस तरह की “घटिया” और बेहूदी “बयानबाज़ी” करने वाले मूर्धन्य नेताओं पर लगना चाहिये. जो रोज हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का “अपमान” करने को ही अपनी बहादुरी समझते हैं."



बीजेपी की प्रतिक्रिया
जबकि बीजेपी के ओर से प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा, "इस मामले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव और रामगोपाल यादव को जवाब देना चाहिए. अब स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में एक बड़ा नेता बनने के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है. सपा ने हमारी धार्मिक गतिविधियों को बाधित करने की कोशिश की थी. सपा को यह तय करना होगा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान पार्टी का आधिकारिक बयान है या नहीं. मौर्य ने यह बयान दिया है और उन्हें इसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए."
 
इससे पहले सपा एमएलसी ने कहा था, "धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्ही पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं बल्कि अधर्म है. रामचरितमानस में कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है. इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं. इसी तरह से रामचरितमानस की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए."