Ramcharitmanas Controversy: एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) अपने विवादित बयानों की वजह से हमेशा ही चर्चा में रहे हैं. इनके विवादित बयानों की आंच से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से पहले बसपा (BSP) और बीजेपी (BJP) भी झुलस चुकी है. बसपा में रहते हुए 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू देवी देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसको लेकर सुल्तानपुर (Sultanpur) में उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज हुई थी.


बीजेपी में आने के बाद वह कैबिनेट मंत्री बने तो तीन तलाक को लेकर उनके बयान से अल्पसंख्यकों में बवाल खड़ा हो गया था. बसपा छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद ने मायावती को दलित की नहीं "दौलत की देवी" बता कर हंगामा खड़ा किया था. बीजेपी छोड़कर सपा में आए तो उन्होंने बीजेपी और आरएसएस को नाग और खुद को नेवला बताना शुरू किया.  यह कहा कि स्वामी रूपी नेवला यूपी से बीजेपी को खत्म करके ही दम लेगा. 


कैसा रहा राजनीतिक सफर?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने 1980 के दशक में अपनी राजनीति लोकदल से शुरू की थी. इसके बाद वे जनता दल में पहुंच गए. 1996 में वह डलमऊ से बसपा विधायक चुने गए. 2003 में जब बसपा सत्ता से बाहर हुई तो मायावती ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया. 2007 में सरकार बनने पर बसपा ने उन्हें मंत्री बनाया और फिर पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बने. इसके बाद 2012 में बसपा सत्ता से बाहर हुई तो फिर नेता प्रतिपक्ष बनाए गए. 


2017 में स्वामी प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया और चुनाव जीतकर आए. इसके बाद योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में मंत्री बने. लेकिन इसके बाद उन्होंने पाला बदला और विधानसभा चुनाव से पहले सपा में चले गए. हालांकि उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें ओबीसी चेहरे के रूप में विधान परिषद भेजा है. लेकिन अब रामचरितमानस पर अपने बयान से उन्होंने फिर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.