UP Politics: स्वामी प्रसाद मौर्य से मंत्री अनिल राजभर ने पूछा- 'चर्चा में बने रहने के लिए क्या तोड़ देंगे सारी मर्यादा?'
Ramcharitmanas Row: स्वामी प्रसाद मौर्य से योगी सरकार के मंत्रियों का हमला लगातार जारी है. इसकी वजह स्वामी प्रसाद मौर्य पर हर दूसरे दिन धर्म ग्रंथ और साधू-संतों पर दिया जाने वाला बयान है.
Anil Rajbhar on Swami Prasad Maurya: सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित ट्वीट का सिलसिला थमने का नाम. नहीं ले रहा. एक बार फिर उन्होंने धर्माचार्यों, संत, महंत का जिक्र करते हुए ट्वीट कर सियासत को गर्मा दिया है. उनके इस बयान पर कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर (Anil Rajbhar) ने प्रतिक्रिया दी है. राजभर ने कहा कि जानबूझकर साधु, संतों, सन्यासियों, तपस्वियों के खिलाफ घृणित बयान दिए जा रहे. भाषाओं की मर्यादाओं को तोड़ते हुए सपा स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad) जैसे लोगों को आगे करके हमला बोल रही है. अनिल राजभर ने पूछा, 'जो दगे कारतूस हैं, इनके पास कुछ बचा नहीं है, चर्चा में बने रहने के लिए क्या सारी मर्यादा ही तोड़ देंगे?'
अनिल राजभर ने कहा, 'अपने गिरेबान में झांक कर देखें ये लोग. मैं वाराणसी से आता हूं. जहां भगवान संकटमोचन मंदिर और न्यायपालिका के मंदिर कचहरी में आतंकवादियों ने बम विस्फोट करके कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी, कई जानें गईं. ऐसे आतंकवादियों के ऊपर से केस वापस लेने की बात किस सरकार ने की? ऐसे आतंकवादियों को छोड़ने की बात किस सरकार ने की? .ये जैसी मानसिकता के लोग हैं इनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है. बीजेपी से अब ये सब जगह हार चुके हैं. यह कभी रामायण पर हमला बोलते हैं, कभी आस्था पर प्रहार करते हैं.'
सत्ता पाने की छटपटाहट में हो गए हैं अंधे - अनिल राजभर
पूर्व सीएम और सपा के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण सम्मान दिए जाने से जो सियासत शुरू हुई है. उस पर अनिल राजभर ने कहा, 'डिंपल यादव जब सांसद थी तब सपा के समर्थन से कांग्रेस की सरकार चल रही थी. स्वामी प्रसाद मौर्या की पुरानी पार्टी का भी समर्थन कांग्रेस को था. जब बीजेपी की सरकार ने मुलायम सिंह यादव को पदम विभूषण देने का फैसला किया तब इनको याद आया. इससे पहले क्यों नहीं करा लिया, कभी किसी दल ने किसी नेता ने किसी संगठन ने समाजवादियों ने अगर कभी इस बात को कहा हो तो बताइए. उनको तब याद आया जब बीजेपी सरकार ने उन्हें सम्मान देने का फैसला किया. इनको कोई लेना-देना नहीं मुलायम सिंह यादव के सम्मान से. सत्ता पाने की छटपटाहट और उसमें इतने अंधे हो चुके हैं कि सही कामों का भी यह समर्थन नहीं कर सकते.'
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