Ramcharitmanas Row: स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के एक और नेता ने दिया रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया है. सपा के विधायक डॉ. आरके वर्मा (RK Verma) ने रामचरितमानस को संविधान विरोधी बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas) को पाठ्यक्रमों में पढ़ाए जाने पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की है. जिसके बाद फिर से सियासी बयानबाजी जोर पकड़ सकती है.
सपा विधायक ने अपने ताजा बयान में कहा, "इस विवाद में एंट्री करने की बात नहीं है. मैं देश का एक जिम्मेदारी नागरिक हूं और राजनीतिक कार्यकर्ता हूं. हम सबलोग धर्म में विश्वास करते हैं. लेकिन धर्म में बहुत सारी विसंगतियां हैं, जिससे समाज में गैर बराबरी का और भेद भाव का संदेश जाता है. इससे समाज बिखरता है. मैंने अपने ट्विटर पर उन्हीं लाइनों को टैग किया है. वो लाइनें गैर बारबरी का संदेश दे रही हैं."
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विधायक ने संविधान का किया जिक्र
आरके वर्मा ने कहा, "एक वर्ग विशेष को नीच कहने का हक किसी को भी नहीं है. भारत का संविधान सबको बराबरी का हक देता है. संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 कहता है कि देश के किसी भी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर, क्षेत्र के आधार पर, भाषा के आधार पर या लिंग के आधार पर भेद नहीं किया जा सकता है. लेकिन ये लाइनें भेद कर रही हैं. इसलिए मैंने कहा कि ये लाइन संविधान विरोधी लगती है. इसलिए समीक्षा करके इन लाइनों को संविधान से हटाया जाए."
उन्होंने कहा, "तुलसीदास दूषित मानसिकता के कवि थे. जिस लाइन को हमने टैग किया है उसमें कहा गया है कि ऐसा संत कहते हैं. संत तो कभी किसी को नीच नहीं कहता है. लेकिन अगर कोई गुणहिन है तो भारत के संविधान के अनुसार उन्हें सजा दी जाती है. जिस तरह से तुलसीदास जी को छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. जिसे छात्र बड़े आदर के साथ पढ़ते हैं. लेकिन अगर तुलसीदास की इस मानसिकता की जो लाइन से उसे मुझे लगता है कि पाठ्यक्रम से बाहर करना चाहिए."