UP Politics News: प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) रामचरितमानस पर दिए गए अपने बयान पर कामय नजर आए. स्वामी प्रसाद ने कहा, 'रामचरितमानस के कुछ अंश पर मैंने टिप्पणी की है. हमने कोई नई चीज नहीं कही, ना ही किसी के आराध्य देव पर प्रहार किया है. हमने किसी धार्मिक पुस्तक पर भी उंगली नहीं उठाई है हमने तो तुलसीदास की लिखी रामचरितमानस के चौपाई के कुछ अंश को लेकर कहा.'


 सपा नेता पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी पर अपनी ओर से सफाई दी. स्वामी प्रसाद ने कहा, 'पहले के समय में कहा जाता था कि ढ़ोल गंवार शुद्र पशु नारी ये सकल ताड़ना के अधिकारी. समाज के अस्सी प्रतिशत लोगों का वर्ण व्यवस्था के तहत शोषण किया जा रहा था. समय-समय पर इन को अपमानित भी किया जाता था. ऐसे वर्ग को अपमानित करने का अधिकार तुलसी और रावण को कैसे मिल गया. ऐसे वर्ग में कुम्हार, पिछड़ा वर्ग, दलित और मेहतर समाज के लोग भी शामिल हैं.' आक्रामक तेवर अपनाते हुए कहा कि कुछ जाति विशेष के लोगों को लगातार अपमानित किया जाता रहा है.'


मैंने कुछ चौपायी पर बात की थी - स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद ने आगे कहा, 'हमने किसी धार्मिक पुस्तक पर भी उंगली नहीं उठाई है. हमने तो तुलसीदास की लिखी रामचरितमानस के चौपाई के कुछ अंश पर बात की है. समाज को बांटा जाता है, समाज को अपमानित किया जाता है, वह धर्म नहीं अधर्म है. हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सब एक हैं. एक व्यक्ति विरोध कर रहे हैं. जबकि सैकड़ों हजारों लोग जो समर्थन में आ रहे हैं, उनकी आप बात नहीं कर रहे हैं. जो एक व्यक्ति विरोध की बात कर रहा है. उसके मुंह पर ताला लग गया है. स्वाभाविक रूप से मैं सच के साथ खड़ा हूं, सच हमेशा विजयी होता है. जनता भी हमारे साथ में हैं. मैं किसी धर्म का विरोध नहीं कर रहा हूं, मैं किसी के आराध्य देव पर हमला नहीं कर रहा हूं.'


 

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