Ramdan 2024: अल्लाह की इबादत में बीता दिन, 13 घंटा 21 मिनट का रहा दूसरा रोजा
Gorakhpur News: माह-ए-रमज़ान का दूसरा रोज़ा अल्लाह की इबादत में बीता. दूसरा रोजा करीब 13 घंटा 21 मिनट का रहा. बंदों ने अल्लाह की रज़ा के लिए यह वक्त भूखे प्यासे रहकर गुजारा.
Ramdan 2024: माह-ए-रमज़ान का दूसरा रोज़ा अल्लाह की इबादत में बीता. दूसरा रोजा करीब 13 घंटा 21 मिनट का रहा. बंदों ने अल्लाह की रज़ा के लिए यह वक्त भूखे प्यासे रहकर गुजारा. चारों तरफ नूरानी माहौल है. लोगों के सिरों पर टोपियां, हाथ में तस्बीह है. मस्जिदें भरी हुई हैं. घरों में भी इबादत हो रही है. कुरआन-ए-पाक की तिलावत जारी है.
सभी की जुबां पर सुब्हान अल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर का वजीफा है. कसरत से कलमा पढ़ा जा रहा है. पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में दरूदो सलाम का नजराना पेश किया जा रहा है. अल्लाह के बंदे दिन में रोज़ा रखकर व रात में तरावीह की नमाज़ पढ़कर अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे है. मुफ्ती अख्तर ने बताया कि इंसुलिन लेने से रोजा नहीं टूटेगा.
इंसुलिन लेने से रोजा नहीं टूटेगा : मुफ़्ती अख्तर
उलमा किराम द्वारा जारी रमजान हेल्पलाइन नंबरों पर बुधवार से सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हो गया. लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फितरा आदि के बारे में सवाल किए. उलमा किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिए.
सवाल- शुगर के मरीजों के लिए इफ्तार से बीस मिनट पहले इंसुलिन लेना कैसा है? (महबूब, बसंतपुर)
जवाब- दुरुस्त है. रोज़ा नहीं टूटेगा. (मुफ्ती अख्तर हुसैन)
सवाल- रोज़े की हालत में इनहेलर (Inhaler) का इस्तेमाल करना कैसा है? (शादाब सिद्दीकी, बड़गो)
जवाब- रोज़े की हालत में इनहेलर (Inhaler) का इस्तेमाल दुरुस्त नहीं. रोज़ा टूट जाएगा. (मुफ्ती मेराज अहमद)
बुधवार की सुबह सभी ने सहरी खाई. दिन भर इबादत की. घरों में दोपहर से इफ्तार बननी शुरु हुई. शाम तक इफ्तार तैयार हो गई. लजीज व्यंजन दस्तरखान पर सजाए गए. सबने मिलकर दुआ की. तय समय पर सभी ने मिलकर रोज़ा खोला और अल्लाह का शुक्र अदा किया. मस्जिदों व मदरसों में तरावीह नमाज़ के लिए भीड़ उमड़ रही है. नमाज़ खत्म होने के बाद सहरी के सामानों की खरीदारी शुरु हो रही है. बाजारों व मुस्लिम मोहल्लों में देर रात तक रौनक बनी रही.
रमज़ान की रातों में इबादत से गुनाह होंगे माफ़ : मौलाना महमूद
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने बताया कि रोज़ा पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ऐलान-ए-नुबूव्वत के पन्द्रहवें साल दो हिजरी में फ़र्ज़ हुआ. अल्लाह तआला ने कुरआन-ए-पाक में फरमाया "ऐ ईमान वालों तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए जैसे कि पिछलों पर फ़र्ज़ हुए कि तुम्हें परहेजगारी मिले". मुसलमान सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए साल में एक महीना अपने खाने-पीने, सोने-जागने के समय में तब्दीली करता है. ईमान की वजह से और सवाब के लिए रमज़ान की रातों में जागकर इबादत करेगा उसके अगले-पिछले गुनाह बख़्श दिए जाते हैं. रमज़ान की सुबह-शाम अल्लाह व रसूल के जिक्र में गुजारें. दूसरों की मदद करें. नेक बनें और दूसरों को नेक बनने की दावत दें.
सहरी करना पैग़ंबरे इस्लाम की सुन्नत : हाफिज रहमत
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि अल्लाह का एहसान कि उसने हमें रोज़े जैसी अज़ीम नेमत अता की. सहरी की न सिर्फ इजाजत दी, बल्कि इसमें हमारे लिए ढ़ेरों सवाब भी रखा. सहरी में बरकत है. फज्र की अजान के दौरान खाने पीने की इजाजत नहीं है. अजान हो या न हो, आप तक आवाज पहुंचे या न पहुंचे सुबह सादिक होते ही आपको खाना-पीना बिल्कुल ही बंद करना होगा.
उन्होंने कहा कि किसी को ये गलतफहमी न हो जाए कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है, ऐसा नहीं है. सहरी के बगैर भी रोज़ा हो सकता है. मगर जानबूझकर सहरी न करना ठीक नहीं है. एक अजीम सुन्नत से महरूमी है और ये भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं हैं. चंद खजूरें और पानी ही अगर बनियते सहरी इस्तेमाल कर लें तब भी सुन्नत अदा हो जाएगी.
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