UP News: रामलला के मंदिर निर्माण में अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल शुरु किया गया है जिसमें विश्व की सबसे भारी भरकम मशीनों में से एक 300 टन का वजन उठाने वाली अत्याधुनिक मशीन राम जन्मभूमि परिसर पहुंची है. ट्रस्ट के मुताबिक इन मशीनों से तराश कर रखे गए पत्थरों को उनके नियत स्थानों पर स्थापित किया जाएगा.


अत्याधुनिक मशीनों से रखी जा रही एक भारी-भरकम नींव


इन्हीं मशीनों के इस्तेमाल से राम जन्म भूमि के कार्यशाला में तराश कर रखे गए पत्थरों को उठाने और लगाने का काम किया जाएगा. कार्यदायी संस्था मंदिर की मजबूती के लिहाज से विशालकाय भूखंड को जमीन के अंदर से पाइलिंग करते हुए आ रही है और अब जमीन पर बनी हुई बुनियाद के ऊपर प्लिंथ निर्माण किया जा रहा है, प्लिंथ बुनियाद से लगभग 6 मीटर ऊपर है और इसके ऊपर ही राम मंदिर के लिए तराश कर रखे गए पत्थरों को स्थापित करते हुए विशाल काय मंदिर का निर्माण होगा.


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1000 वर्षों तक के लिए सुरक्षित मंदिर के निर्माण के लिए कई इंजीनियर और वैज्ञानिकों तथा वैज्ञानिक पद्धति और अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल कार्यदाई संस्था कर रही है. मंदिर निर्माण के संदर्भ में प्रत्येक माह में भवन निर्माण समिति की एक बैठक होती है जिसमें ट्रस्ट के पदाधिकारियों और कार्यदायी संस्था वैज्ञानिक और इंजीनियर मंदिर निर्माण में आ रही चुनौतियों और निर्माण के भविष्य को लेकर समीक्षा करते हैं.


'दिसंबर 2023 में रामलला अपने गर्भ ग्रह में विराजमान हो जाएंगे'


ट्रस्ट तय समय के अंदर राम मंदिर निर्माण पूरा करना चाहता है, 2024 के चुनाव के ठीक पहले दिसंबर 2023 में रामलला अपने गर्भ ग्रह में विराजमान हो जाएंगे रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही 2024 के चुनाव में अहम मुद्दा राम मंदिर भी होगा जिसका लाभ बीजेपी को 2024 के चुनाव में मिलेगा शायद यही वजह है कि 2023 दिसंबर तक रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कैंप कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्लेटफार्म निर्माण का काम चल रहा है जिसमें लगभग अभी 3 माह और लगेंगे. जिसके लिए पत्थरों को हटाने और लगाने के लिए विशालकाय अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है और साथ ही विशाल काय पत्थरों को लगाने के लिए विशालकाय मशीनों की आवश्यकता है.


विशालकाय भारी-भरकम मशीनों के इस्तेमाल से पत्थरों के स्थानांतरण में सुविधा और सुरक्षा रहेगी. तराश कर रखे गए पत्थरों का काम जुलाई से शुरू होने की संभावना है. इन  भारी भरकम मशीनों का इस्तेमाल इस वजह से किया जा रहा है ताकि तलाश कर रखे गए पत्थर सुरक्षित रहें हल्की मशीनों से यदि पत्थर में स्क्रैच आता है तो फिर उस पूरे पत्थर को दोबारा से तराशना पड़ेगा. स्क्रैच आने के बाद उस पत्थर का इस्तेमाल राम मंदिर में नहीं हो पाएगा जिसके बाद नए सिरे से दूसरे पत्थर को तराशना पड़ेग. इसी वजह से पत्थरो की सुरक्षा के लिहाज से भारी भरकम मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे कि पत्थर उठाने पर कोई भी समस्या ना हो.


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