Ramnagar News: हमलावर बाघ नहीं पकड़े जाने से पालतू पशुओं पर पड़े खाने के लाले, ग्रामीणों में दहशत
Uttarakhand News: रामनगर में हमलावर हो रहे बाघ के पकड़े नहीं जाने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ पालतू पशुओं की परेशानियां काफी बढ़ गयी हैं. ग्रामीण अपने पालतू पशुओं को जंगल नहीं ले जा पा रहे हैं.
Ramnagar News: रामनगर वनप्रभाग के मोहन क्षेत्र में हमलावर हो रहे बाघ के पकड़े नहीं जाने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ पालतू पशुओं की परेशानियां काफी बढ़ गयी हैं. वनाधिकारियों के निर्देश के बाद ग्रामीण अपने पालतू पशुओं को जंगल नहीं ले जा पा रहे हैं. इससे पालतू पशु गाय, भैस, बकरी, भेड़ आदि पर खाने का संकट मंडराने लगा है. ग्रामीणों ने बताया कि 1 माह का समय बीत चुका है, लेकिन वनविभाग अब तक हमलावर बाघों को नहीं पकड़ सका है.
उन्होंने बताया कि वनाधिकारियों ने ग्रामीणों को बाघों के पकड़े जाने तक जंगल में जाने पर रोक लगा दी. इससे ग्रामीण अपने पालतू पशुओं के लिए चारा नहीं ला पा रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि वनाधिकारियों ने डीएम से चारा उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन ग्रामीणों को अब तक चारा नहीं मिला है. इससे उनके पालतू पशुओं पर खाने को लेकर संकट आ गया है.
रामनगर में लगातार बाघों का आतंक बना हुआ है जिससे ग्रामीण बेहद परेशान है.
हमलावर बाघों से बनी हुई है दहशत
इस संदर्भ में उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने रामनगर पहुंचकर कॉर्बेट पार्क का निरीक्षण किया. साथ ही उन्होंने इन गांव का भी निरीक्षण किया, जहां पर बाघों का आतंक बना हुआ है. समीर ने बताया कि कार्बेट पार्क में कैसा क्षेत्र है जहां पर कॉर्बेट पार्क अल्मोड़ा फॉरेस्ट डिवीजन और कालागढ़ फॉरेस्ट डिवीजन के पास कुछ गांव स्थित है, जहां पर कुछ बाघ लोगों पर हमलावर हैं. इनको पकड़ने की कवायद की जा रही है और जल्द ही इन को पकड़कर कहीं और शिफ्ट किया जाएगा.
वनाधिकारियों ने जंगल जाने पर लगाई रोक
स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि गांव के आसपास तीन से अधिक बाघ घूम रहे हैं. जिनके डर से शाम होते ही लोगों को अपने घरों में कैद होना पड़ रहा है. वनाधिकारियों ने जंगल जाने पर रोक लगा दी है.इससे घर में पशु बिना चारे के भूखे मरने को मजबूर हैं. स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि गांव में आजीवका चलाने के लिए गाय, भैसें पाली गई हैं लेकिन बाघ के आतंक के बाद जब से जंगल जाना बंद हुआ है. तब से पशुओं के लिए चारे की समस्या बढ़ती जा रही है. उन्होंने वनविभाग से जल्द जल्द बाघ को पड़ने की मांग की है.
वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिमवाल ने बताया कि बीते कुछ सालों में कॉर्बेट और आसपास के वनप्रभागों में बाघ के हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं. उन्होंने बताया कि बरसात के समय इस तरह की घटनाएं झाड़ियों के बढ़ने से बढ़ जाती है. इसके साथ ही पर्यटकों और स्थानीय लोग, ग्रामीणों आदि का जंगल में दखल काफी बड़ा है.जोकि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को बढ़ाने का एक कारण है.
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