Ramayana in Rampur Raza Library: अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन की जोर शोर से तैयारी चल रही है. 22 जनवरी को रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का भक्तों को शिद्दत से इंतजार है. राम मंदिर का उत्साह और उल्लास देश भर में देखने को मिल रहा है. भारत विभिन्न धर्मों, संप्रदायों और अनेकता में एकता वाला देश है. हिंदू मुसलमान एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं. सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना मतदेभद और मनमुटाव को दूर करती है.
ऊं से नहीं बिस्मिल्लाह से रामायण की शुरुआत
एक दूसरे के पर्व की खुशियों में लोग शामिल होते हैं. धार्मिक ग्रथों से भी अनेकता में एकता का संदेश मिलता है. गंगा-जमुनी तहजीब की गवाही रामपुर की रजा लाइब्रेरी में रखी रामायण दे रही है. इस्लामी छंदों के साथ फारसी में रामायण का अनुवाद सुमेर चंद ने किया था. 1713 में रामायण का अनुवाद करनेवाले सुमेर चंद ने ने हिंदू धर्म ग्रंथ की शुरुआत ऊं के बजाय बिस्मिल्लाह यानी 'अल्लाह के नाम' से की है. मुसलमान किसी काम की शुरुआत बिस्मिल्लाह से करते हैं.
रजा लाइब्रेरी में 300 साल पुरानी रखी रामायण
रजा लाइब्रेरी से जुड़े अबुसाद इस्लाही कहते हैं कि फारसी रामायण की शुरुआत अल्लाह के नाम से करने का मतलब संदेश देना हो. रावण अपने जमाने में कुरीतियों और नफरत का जिक्र कर चितां जताता है. उन्होंने रामायाण को ज्यादा से ज्यादा लोगों के पढ़ने की अपील की है. समाज को सुधारने में मदद भी मिलेगी. बता दें कि ढाई सौ साल पुरानी रजा लाइब्रेरी कीमती पांडुलिपियों, ऐतिहासिक दस्तावेजों, संस्कृत, हिंदी, उर्दू, पश्तो, इस्लामी धर्म के लिए जानी जाती है. फारसी रामायण के हर पन्ने को खालिस सोने और कीमती पत्थरों से सजाया गया है. चित्रों से मुगलकालीन शैली की झलक मिलती है. वाल्मीकि रामायण का संस्कृत से फारसी भाषा में अनुवाद किया गया है. फारसी रामायण में सभी पात्रों की वेशभूषा पर मुस्लिम संस्कृति का रंग दिखता है.
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