आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट पर चला बुलडोजर, प्रशासन ने गिराई जौहर यूनिवर्सिटी की दीवार
सपा सांसद आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर यूनिवर्सिटी की दीवार पर गुरुवार दोपहर बुलडोजर चला दिया गया। चकरोड प्रकरण में तीन थानों की फोर्स ने मिलकर 17 बीघा जमीन पर बनी तीन मीटर दीवार को तोड़कर रास्ता बनवाया।
रामपुर, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के रामपुर में गुरूवार को जिला प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां की मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी पर बड़ी कार्रवाई की है। रामपुर में आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की दीवार को कई जगह से जेसीबी मशीन से तोड़कर उसके अंदर कब्जा किए गए सरकारी चकरोड से कब्जे को हटाया गया है।
जिला अधिकारी रामपुर के मुताबिक दीवार गिराकर कुछ कब्जा हटा दिया गया है और सरकारी चकरोड की जमीन से अभी दो बड़ी बिल्डिंगों को हटाना बाकि है। जिला अधिकारी ने बताया कि हमने विश्वविधालय प्रशासन को तीन दिन का समय दिया है कि वह खुद अवैध निर्माण को हटा ले वर्ना फिर हमारी टीम नियमानुसार कार्रवाई करेगी
अधिकारी ने कहा कि 'हम नहीं चाहते कि यूनिवर्सिटी में छात्रों की पढाई में कोई व्यवधान पड़े। चकरोड की जमीन को नियम विरुद्ध तरीके से आजम खान ने बदल कर कब्जा कर लिया था और उस पर ऊंची-ऊंची दीवारें बना लीं थीं। कार्रवाई नियमानुसार लखनऊ राजस्व बोर्ड के आदेश पर की गई है। आजम खां ने अवैध रूप से निर्माण कर लिया था जिसे हमने ध्वस्त किया है और बाकि आगे भी अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई जारी रहेगी।
गौरतलब है कि, आजम खां मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति हैं। चकरोड प्रकरण में प्रशासन की तरफ से यह कार्रवाई की गई। जौहर यूनिवर्सिटी में चकरोडों पर अवैध कब्जे का मामला चल रहा था। राजस्व परिषद से केस जीतने के बाद प्रशासन ने यह कार्रवाई की है। अधिकारियों ने बतयाा कि इस घटना के संबंध में विवि प्रशासन को पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया था।
जौहर यूनिवर्सिटी की यह दीवार आलियागंज गांव की तरफ बनी थी। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में सरकारी चकरोड की जमीन जौहर यूनिवर्सिटी को देकर इसके बदले ग्राम पंचायत को दूसरे स्थान पर जमीन मुहैया करा दी गई थी। उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद ने जमीन की अदला-बदली को गलत माना था और इसे खाली करने का आदेश दिया था।
सरकारी जमीन से निर्माण हटाने के लिए उप जिलाधिकारी ने जौहर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और कुलाधिपति आजम खां के नाम नोटिस जारी कर दो हफ्तों का समय दिया था। जब निर्धारित समयावधि में यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से निर्माण हटाने की कोई पहल नहीं हुई तो प्रशासन ने इस पर खुद बुलडोजर चलवा दिया।
बता दें कि यूनिवर्सिटी की दीवार सरकारी चकरोड की 17 बीघा जमीन पर बनी थी। साल 2007 में बसपा शासनकाल के दौरान भी इस निर्माण पर बुलडोजर चला था। जब समाजवादी सरकार सत्ता आई तो सरकारी चकरोड की जमीन दूसरी जमीन के अदला बदली कर दी गई। योगी सरकार आने पर इस संबंध में शिकायत की गई। प्रशासन ने जांच को दौरान शिकायतों को सही पाया।
बता दें कि, भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने इस बाबत मुख्यमंत्री कार्यालय में अपनी शिकायत दी थी। उन्होंने जमीन की अदला-बदली को नियमों को विरुद्ध बताकर कार्रवाई की मांग की थी। यूनिवर्सिटी की बाउंड्री के अलावा कुलपति आवास का एक हिस्सा और एक अन्य इमारत चकरोड की जमीन पर बनी है। अब प्रशासन इस कब्जे को भी खाली करवा रहा है।