UP Election 2022: उत्तर प्रदेश का रामपुर जिला समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है और इसकी वजह भी साफ है, पिछले कई सालों से यहां समाजवादी पार्टी का वर्चस्व रहा है. रामपुर जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं. स्वार, चमरब्बा, बिलासपुर, रामपुर और मिलक. साल 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को यहां की पांच में से 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी बाकि दो सीटें बीजेपी ने जीती थी. रामपुर विधानसभा सीट से सपा के कद्दावर नेता आजम खान लगातार 9 बार विधायक रह चुके हैं, वो यहां से मौजूदा सांसद भी हैं.
सपा का गढ़ रहा है रामपुर
समाजवादी पार्टी इन चुनावों में कई छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही हैं. इस बार बीजेपी और सपा में सीधी टक्कर मानी जा रही है. जिसकी वजह से सपा रामपुर में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती. इस बार एसपी ने अपने सबसे मजबूत कैंडिडेट्स को चुनावी मैदान में उतारा हैं. माना जा रहा है कि आजम खान भी चुनाव लड़ सकते हैं. चलिए जानते हैं यहां कि 5 सीटों पर सपा ने कौन से उम्मीदवार उतारे हैं और क्या वो पार्टी को जीत का स्वाद चखा पाएंगे या नहीं.
आजम खान: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान मौजूदा समय में रामपुर लोकसभा सीट से सांसद है, आजम खान रामपुर विधानसभा सीट पर 9 बार जीत दर्ज करके विधायक रह चुके हैं इसके साथ ही प्रदेश में जब जब सपा सरकार आई तब तक आजम खान मंत्री भी रहे. वह तीन बार सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. आजम खान सपा के कद्दावर नेता है और फिलहाल सीतापुर जेल में बंद हैं. विधानसभा चुनाव आते ही यह चर्चा भी आम है कि आजम खान इस बार जेल से ही चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं कुछ समर्थकों का मानना है कि बहुत जल्द आजम खान जमानत पर बाहर आकर चुनाव लड़ेंगे.
अब्दुल्लाह आजम: स्वार-टांडा विधानसभा सीट से अब्दुल्लाह आजम पहली बार 2017 के विधानसभा चुनाव में उतरे थे और जीत दर्ज करके विधायक बने. उन्हें इस चुनाव में आजम खान से भी ज्यादा वोट मिले थे. लेकिन, कम उम्र को लेकर उनके प्रतिद्वंदी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए अब्दुल्लाह आजम का निर्वाचन रद्द कर दिया था. जिसके कुछ समय बाद ही अब्दुल्लाह आजम पर दर्ज मुकदमों के चलते उन्हें जेल जाना पड़ा. लगभग 23 महीने बाद 15 जनवरी 2022 को अब्दुल्लाह आजम रिहा होकर सीतापुर जेल से वापस रामपुर लौटे और अब एक बार फिर अब्दुल्लाह आजम रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
नसीर अहमद खां : समाजवादी पार्टी से चमरौआ विधानसभा सीट से टिकट हासिल करने वाले नसीर अहमद खां, आजम खान के बेहद करीबी नेता हैं. वह चमरौआ से पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. 2017 में सपा ने उन्हें फिर से चुनाव मैदान में उतारा और वह जीत गए. अब उन्हें तीसरी बार समाजवादी पार्टी ने चमरौआ विधानसभा से चुनाव लड़ने का मौका दिया है.
विजय सिंह: पूर्व विधायक विजय सिंह भी आजम खान के बेहद करीबियों में से हैं समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है, इससे पहले वह सपा के टिकट पर 2012 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं लेकिन, 2017 के चुनाव में उन्हें भाजपा की राजबाला से शिकस्त मिली थी, अब एक बार फिर उन्हें समाजवादी पार्टी ने मिलक विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है.
अमरजीत सिंह: बिलासपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के लिए चुनावी मैदान में उतरे अमरजीत सिंह पहली बार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आज़माएंगे. अमरजीत सिंह वर्तमान में सपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य हैं. वो पिछले तीन बार से लगातार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत दर्ज कराते हुए जिला पंचायत सदस्य बने.
रामपुर में समाजवादी पार्टी की अगर बात करें तो 3 विधानसभा सीटों पर अब आजम खान का वर्चस्व देखने को मिल सकता है क्योंकि यह न केवल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं बल्कि इन क्षेत्रों में आजम खान का सिक्का आज की बुलंद है. इन तीनों विधानसभाओं में रामपुर की शहर विधानसभा, स्वार टांडा विधानसभा और चमरौआ विधानसभा है. मौजूदा स्थिति में भी इन तीनों विधानसभाओं में समाजवादी पार्टी के विधायक काबिज़ हैं इसके अलावा मिलक विधानसभा पर भी इस बार सपा और भाजपा के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिलेगा.
वहीं बिलासपुर विधानसभा में इस बार त्रिकोणीय घमासान रहेगा जहां भाजपा सरकार के राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलक चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. वही समाजवादी पार्टी ने भी सरदार अमरजीत सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. इसके साथ ही कांग्रेस के संजय कपूर भी बिलासपुर में जबरदस्त पकड़ रखते हैं और लगातार दो बार विधायक रहे हैं. ऐसे में यह मुकाबला त्रिकोणीय हो जाता है और विधानसभा चुनाव 2022 का घमासान बहुत दिलचस्प रहने वाला है.
रामपुर के जातीय समीकरण की बात करें तो 50% से ज्यादा आबादी मुस्लिम बाहुल्य हैं. लगभग 45% हिंदू और 3 से 4% आबादी सिख ईसाई बौद्ध जैन और अन्य आबादी है.