Rampur Bypolls Result 2022: उत्तर प्रदेश में रामपुर (Rampur) लोकसभा उपचुनाव का रिजल्ट रविवार को आ गया. यहां बीजेपी (BJP) के घनश्याम सिंह लोधी (Ghanshyam Singh Lodhi) ने आजम खान (Azam Khan) के गढ़ में सेंध लगा दी और 42,192 वोटों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की. उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के उम्मीदवार आसिम राजा (Asim Raja) को हराया. आजम खान के गढ़ और मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के बाद भी उन्होंने बीजेपी के नाम जीत का सेहरा बांध दिया. जिसके बाद घनश्याम सिंह लोधी की खूब चर्चा हो रही है, तो हम उनके राजनीतिक करियर पर एक नजर डालते हैं.
बीजेपी से शुरू हुआ करियर
घनश्याम लोधी का राजनीति करियर बीजेपी के साथ ही शुरू हुआ था. एक वक्त में वे यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेहद करीबी रहे. तब पार्टी ने उन्हें रामपुर का जिलाध्यक्ष तक बना दिया. लेकिन 1999 में उन्होंने बीजेपी छोड़कर बीएसपी का दामन थामा और लोकसभा चुनाव लड़े. तब कांग्रेस प्रत्याशी नूर बानो ने जीत दर्ज की. वहीं बसपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे और इन्हें 1,10,362 वोट मिले. उनका और बसपा का साथ ज्यादा दिन नहीं चला.
जब बीजेपी से अलग होकर कल्याण सिंह ने नई पार्टी बनाई तो घनश्याम लोधी फिर उनके साथ आ गए. 2004 में कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का सपा से गठबंधन हुआ. घनश्याम सिंह लोधी बरेली-रामपुर सीट से एमएलसी प्रत्याशी हुए और जीत गए. हालांकि 2009 में वे फिर से बसपा में गए और लोकसभा चुनाव लड़ा. इसबार भी वे तीसरे नंबर पर रहे और 95,132 वोट मिले. एक बार फिर उन्होंने पलटी मारी और अबकी सपा का दामन थाम लिया.
आजम खान के रहे करीबी
सपा में जाने के बाद आजम खान से घनश्याम लोधी के अच्छे रिश्ते रहे. धीरे-धीरे वे आजम खान के करीबी बन गए. इसका एक बड़ा उदाहरण 2016 में देखने को मिला जब यूपी के एमएलसी चुनाव में आजम खान ने उन्हें एमएलसी बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया. कहा तो ऐसा जाता है कि आजम खान के कहने पर पहले से तय उम्मीदवार का टिकट काट दिया गया और घनश्याम लोधी को प्रत्याशी बनाया गया. बात यहीं खत्म नहीं हुई, बताया जाता है कि आजम खान ने उनके लिए लखनऊ से सपा का सिंबल हेलीकॉप्टर से भिजवाया. जिसके बाद उन्होंने नामांकन किया और जीत दर्ज की.
इस दौरान 2012 से ही उन्होंने क्षेत्र में सपा के लिए खूब मेहनत की. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सपा के लिए क्षेत्र में प्रचार किया. लेकिन 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जब उनका कार्यकाल खत्म हो रहा था तो उन्होंने सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया और क्षेत्र में पार्टी का प्रचार किया. अब उपचुनाव में पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने आजम खान के ही करीबी आसिम राजा को मात दी.
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