Rampur News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)  के रामपुर (Rampur) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता आज़म खान (Azam Khan) की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. पहले कोर्ट से सजा होने के बाद आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आज़म की विधानसभा सदस्यता रद्द हुई और अब उनके मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के तहत चलने वाले रामपुर पब्लिक स्कूल के कब्जे से शोध सेंटर वाली ईमारत को जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में लिया है और सील कर दिया है. इतना ही नहीं अब आज़म खान के समाजवादी पार्टी के कार्यालय दारुल आवाम पर भी कार्यवाही की तलवार लटक गई है. 


रामपुर की राजनीति में लगभग पिछले 45 सालों से आज़म खान और उनके परिवार का ही वर्चस्व बना हुआ था, लेकिन आज़म खान के परिवार से कोई भी किस सदन का सदस्य तक नहीं बचा है. आज़म खान का राजनीतिक करियर चौपट होने बाद अब उनके रामपुर पब्लिक स्कूल और मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के कब्जे वाली संपत्तियां सरकार वापस ले रही है. इस कड़ी में मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को अखिलेश सरकार में 100 रुपये साल के हिसाब से लीज पर दी गयी. 


आजम खान के कब्जे से मुक्त कराने की उठी मांग 
शोध सेंटर की सरकारी बिल्डिंग जिसमे आज़म खान का रामपुर पब्लिक स्कूल संचालित हो रहा था. योगी सरकार ने उसकी लीज को नियम विरुद्ध मानते हुए कैबिनेट के फैसले के जरिए रद्द कर दिया और रामपुर जिला प्रशासन ने इस बिल्डिंग को आजम खान के कब्जे से मुक्त करा लिया है और अपना ताला डाल दिया है. इसके बाद अब रामपुर में जो आजम खान का दारुल आवाम कार्यालय है जहां से समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय संचालित होता है, वह बिल्डिंग और उसके बराबर वाली बिल्डिंग जिसमें रामपुर पब्लिक स्कूल की मुख्य रूप से संचालित हो रही है. इन इमारतों को भी आजम खान के कब्जे से मुक्त कराने की मांग उठने लगी है.


लोगों ने बताई ये बात
रामपुर के बीजेपी विधायक और आज़म खान के विरोधी आकाश सक्सेना और रामपुर नवाब घराने के नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां का कहना है कि आजम खान ने समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहते हुए इन सरकारी इमारतों पर नियम विरुद्ध कब्जा किया. इस जगह पर पहले नवाब रामपुर का बनवाया हुआ मुर्तजा स्कूल और शिक्षा विभाग के दफ्तर संचालित थे जिन्हें मुलयम सिंह सरकार के दौरान यहां से स्थान्तरित कर आज़म खान ने इस संपत्ति को भी नियम विरुद्ध लीज पर लेकर यहां अपना समाजवादी पार्टी का दफ्तर बना लिया. एक हिस्से पर रामपुर पब्लिक स्कूल खोल लिया है. 


इन लोगों का कहना है कि जब रियासत रामपुर का भारत सरकार में विलय हुआ था, उस समय के मर्जर डॉक्यूमेंट में भी इन इमारतों का जिक्र है और शर्तों के मुताबिक यहां चलने वाले स्कूल को बंद या स्थान्तरित नहीं किया जा सकता था और न उसके स्वरूप को बदला जा सकता था बल्कि भारत सरकार और रामपुर नवाब के बीच यह तय हुआ था कि सरकार यहां चलने वाले स्कूल को संचालित करती रहेगी. उसका खर्चा प्रदेश सरकार उठाएगी.


साथ ही सरकारी विभागों को इन ऐतिहासिक इमारतों का रखरखाव करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन आरोप है कि आजम खान ने समाजवादी पार्टी की सरकार में मर्जर डॉक्यूमेंट की शर्तों का उल्लंघन करते हुए इन संपत्तियों पर अपने ट्रस्ट का कब्जा लीज के रूप में कर लिया जो नियम विरुद्ध है, इसलिए जिस तरह योगी सरकार ने शोध सेंटर की इमारत वाली लीज को कैबिनेट के जरिए निरस्त करते हुए इमारत का कब्जा सरकार ने ले लिया है. इसी तरह रामपुर में आजम खान के दारुल आवाम दफ्तर और रामपुर पब्लिक स्कूल के कब्जे हटवाए जाएं और मर्जर डॉक्यूमेंट की शर्तों का पालन किया जाए.


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