Rangbhari Ekadashi 2022: हिंदू धर्म के पंचांग में रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) का काफी महत्व है. फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी का त्योहार मनाया जाता है. साथ ही इसे आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि पुराणों और शास्त्रों के मुताबिक एकादशी का दिन भगवान विष्णु के लिए समर्पित माना जाता है. लेकिन सिर्फ यही एक ऐसी एकादशी है जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होती है. इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है और काशी विश्वनाथ मंदिर में तो इस पूजा की छठा ही निराली होती है.


क्या है इस दिन का महत्व-


रंगभरी एकादशी में काशी विश्वनाथ में पूरे शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है. खासकर भोलेनाथ और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूजा करते हैं. वहीं माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती शिवनगरी काशी के भ्रमण पर निकलते हैं. इसी मौके पर पूरे शहर में गुलाल से होली खेलकर भक्त खुशियां मनाते हैं. मान्यता है कि इसी दिन भोलेनाथ माता पार्वती का गौना कराकर पहली बार काशी लेकर आए थे. इस मौके पर काशी में उनका रंग और गुलाल से स्वागत किया गया था. जिसके बाद से इस दिन को रंगभरी एकादशी के तौर पर मनाया जाता है.


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इसबार क्या है रंगभरी एकादशी शुभ मुहूर्त-


रंगभरी एकादशी 14 मार्च को मनाने का मुहुर्त हुआ है. वहीं रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक माना गया है. इसके लिए श्रद्धालु प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान के बाद भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा करते हैं. जिसके बाद शिव और पार्वती को भक्त गुलाल का भी अर्पण करते हैं. साथ ही भगवान शिव को उनके प्रिय बेलपत्र, दूध और भांग भी चढ़ाते हैं.


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