Varanasi News: सनातन परंपरा में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष तिथि को रंग भरी एकादशी मनाई जाती है. इस बार 10 मार्च को वाराणसी सहित पूरे देश में इस तिथि पर अलग-अलग आयोजन किए जाएंगे. वहीं काशी में इस रंग भरी एकादशी का खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर माता गौरा संग गौना लेकर अपने सबसे प्रिय नगरी काशी के लिए प्रस्थान करते हैं. जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के परिवार संग होली भी खेलते हैं. काशी के परंपराओं के जानकार और धर्माचार्य पं विश्वकांताचार्य व्यास ने इसके बारे में जानकारी दी है.
धर्माचार्य पं विश्वकांताचार्य व्यास ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष तिथि को रंगभरी एकादशी मनाया जाता है. इस दिन मान्यता है कि भगवान शंकर माता गौरा का गौना कराकर वाराणसी पहुंचते थे. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु के भी पूजन करने का विशेष महत्व है. इस आयोजन को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. इस बार भी रंग भरी एकादशी को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है.
वाराणसी में ये कार्यक्रम 7 मार्च से 10 मार्च तक चलेगा
वहीं परंपराओं के शहर काशी में दशकों से पूर्व महंत परिवार द्वारा इस रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ और माता गौरा के गौना रस्म के रूप में मनाता है, जहां वाराणसी के प्राचीन गलियों से बाबा विश्वनाथ माता गौरा अपने पूरे परिवार संग पालकी पर सवार होकर गुजरते हैं और इन्हीं गलियों में मौजूद लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य के साथ होली खेलते हैं. मान्यता है कि इस दिन से ही एक दूसरे को रंग लगाने की शुभ मुहूर्त की शुरुआत भी हो जाती है. रंगभरी एकादशी के दिन लोग व्रत भी रहते हैं और विधि विधान से भगवान शंकर का पूजन करते हैं.
इस बार भी वाराणसी में रंगभरी एकादशी पर आयोजित होने वाले बाबा के मांगलिक कार्यक्रम को लेकर 7 मार्च से ही आयोजन शुरू हो गया है, जो 10 मार्च तक चलेगा. परंपरा अनुसार टेड़ी नीम स्थित पूर्व महंत आवास पर 7 मार्च के दिन माता गौरा को पूरे विधि विधान से हल्दी लगाई गई.
इसके बाद अगले दिन 8 मार्च को पालकी का पूजन होगा और उसके ठीक बाद 9 मार्च को ईश्वर स्वरूप भगवान शंकर आवास पर पहुंचेंगे और अगले दिन 10 मार्च रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता गौरा का गौना लेकर मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे. यह काशी का विशेष पर्व माना जाता है.
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