मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर में गुरुवार को रालोद की महापंचायत हुई. इस महापंचायत में निर्णय हुआ कि अब बारह तारीख को मथुरा में एक और पंचायत की जाएगी. रालोद नेता जयंत चौधरी ने इस दौरान योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा. हाथरस में उन पर हुए लाठीचार्ज को इस महापंचायत में सबसे बड़ा मुद्दा बनाया गया. जयंत ने कहा कि लाठी उन पर नहीं मारी गई बल्कि किसानों को मारी गई है और वो किसानों के लिए सौ लाठी खाने को तैयार हैं. मुजफ्फरनगर से एबीपी संवाददाता की ख़ास रिपोर्ट.


महापंचायत में हुआ हंगामा


मुजफ्फरनगर में आज रालोद की महापंचायत हंगामे की भेंट चढ़ गई. कहीं, भाकियू और रालोद के कार्यकर्ता आपस में भिड गए तो कहीं, सपा महापंचायत में हज़ारों की संख्या में जुटे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रालोद कांग्रेस और सपा के नेताओं न जमकर योगी सरकार पर अपनी भडा़स निकाली.



रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि हाथरस में लाठी उनको नहीं मारी गई बल्कि ये लाठी सरकार किसानों पर भांज रही है. जयंत ने कहा कि वो किसानों के लिए ऐसी सौ लाठी खाने कौ तैयार हैं. जयंत ने कहा कि आज तो ये महापंचायत की अंगड़ाई है, अगली महापंचायत वो मथुरा में बारह अक्टूबर को करेंगे.


कोविड प्रोटोकॉल की जमकर उड़ी धज्जियां


महापंचायत के दौरान भारी अव्यवस्था भी देखने को मिली. भाकियू और रालोद के कार्यकर्ता भी आपस में भिड़ गए. अव्यवस्था का आलम ये था कि महापंचायत के मंच की मेज़ भी टूट गई. और तो और अव्यवस्था का आलम ये था कि कोविड प्रोटोकॉल की यहां जमकर धज्जियां उड़ाई गईं. हज़ारों की भीड़ में किसी के चेहरे पर मास्क ढूंढे नहीं नज़र आया. यहां तक कि नेता जी भी कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते नज़र आए.


महापंचायत को लेकर ख़ास बात ये भी है कि इसे कोई प्रशासनिक अनुमति नहीं मिली थी. ऐसे में बिना प्रशासनिक अनुमति से हज़ारों की भीड़ इकट्ठा होने देना प्रशासन पर भी सवाल खड़ा करता है. महापंचायत के बाद हमने जब लोगों से बात की तो उन्होंने क्या कहा आप भी सुनिए.


सभी दल अपनी राजनीति चमकाते रहे


महापंचायत में सपा अपनी राजनीति चमकाती नज़र आई, तो कांग्रेस अपनी. सपा नेता धर्मेन्द्र यादव ने तो हज़ारों की भीड़ देखकर इतना उत्साहित हुए कि वो मंच पर रखी मे़ज़ पर ही चढ़ गए. कुछ यही हाल कांग्रेस नेता दीपेन्द्र हुड्डा का रहा. वो भी मंच पर रखी मेज़ पर चढ़कर योगी सरकार पर आग उगलते नज़र आए.


सपा, कांग्रेस और रालोद की इस सियासी खिचड़ी में भाकियू नेताओं को बोलने का मौका तक नहीं मिला. महापंचायत में कोई ऐसा विशेष निर्णय तो नहीं हुआ लेकिन एजेंडा सभी पार्टियों का एक था योगी सरकार. सबने एक सुर में निशाना साधना. इस महापंचायत का सारांश यही था कि रालोद बंजर हो चुकी अपनी सियासी ज़मीन को हरा भरा करना चाहती है.


अपने उपर हुए लाठीचार्ज को मुद्दा बनाकर रालोद अपनी खोई ज़मीन तलाश रही है. इसके लिए रालोद ने कांग्रेस और सपा का भी सहारा लिया, अब ये महापंचायत लोग कब तक याद रखते हैं ये लाख टके का सवाल है.


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