UP News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) शनिवार को सहारनपुर (Saharanpur) में थे. मोक्षायतन योग संस्थान (Mokshayatan International Yogashram) के 49वें स्थापना दिवस समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने योग की कई परिभाषा बताने के साथ इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद थीं.


क्या बोले मोहन भागवत?
पद्मश्री योगगुरु भारत भूषण के इस संस्थान में संघ प्रमुख मोहन भागवत मुख्य वक्ता के तौर पर पहुंचे थे. यहां पर मोहन भागवत ने कहा कि योग का मतलब है झुकना. कलाकार कला की साधना करते हुए परम तत्व तक पहुंच जाते हैं. हमारे यहां जीवन में बुद्धि शरीर के लिए नहीं है. मनुष्य के अस्तित्व का सूत्र एक है, इसे जो समझ लेता है उसका कोई शत्रु नहीं रहता, कोई दुख नहीं रहता. ऐसा जीवन जीकर दिखाना हमारा दायित्व है. हमारे पूर्वजों ने यह दायित्व हमें दिया है. दुखमुक्त होने के बाद हमें दुनिया को दुखमुक्त करना है. हमेशा समुद्र की लहरें होती हैं, लहरों के समुद्र नहीं होते. स्वयं दुखमुक्त होने के बाद दुनिया को दुखमुक्त करना, यही भारत है. इसके अब कई प्रमाण मिल रहे हैं. निस्वार्थ बुद्धि से यह काम चलता है, यही हम सबका कर्तव्य है.


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गीता का भी किया जिक्र
राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक प्रमुख डा. मोहन भागवत ने कहा कि विश्व का स्वरूप सत्य है. हर बात के पीछे एक सत्य होता है. गीता में भी कहा गया है. बंधन क्यों होता है. मानव में असीम शक्ति होती है. हमारे शरीर मन बुद्धि की प्रवित्तियों के बारे में दिखाई नहीं देता, जो बीच में आ गया वही दिखता है. जो शांत है उसका सब दिखता है, योग यानी झुकना. यानी जो ऊपर की माया है मन बुद्धि शरीर. आज का न्यूरो साइंस कहता है कि माया है, वही आप समझ पाते हो. जिसे आपके साफ्टवेयर में डाला गया है.


दुनिया में योग को लेकर कही ये बात
इसके बाद उन्‍होंने कहा कि अंदर की व्यवस्था बदल जाएगी तो जैसा दिख रहा है वैसा नहीं दिखेगा. इसके पीछे के सत्य को देखना योग है. प्रत्येक कार्य को व्यवस्थित करना योग है. संतुलन भी योग है. योग का पेटेंट भारत के नाम पर हो, यह योग भारत का है. दुनिया कल्पना करती है शांति की, बात यही बताएंगे लेकिन यह होगा कैसे यह दुनिया के पास नहीं है. उनके पास इसका तरीका नहीं है, उनके पास सिर्फ भौतिक ज्ञान है.


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