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रत्न रहस्य : जानिए, किस कारण तरह-तरह के रत्न पहनने के बाद भी नहीं होता फायदा
एबीपी गंगा की इस खास सीरिज रत्न रहस्य में पंडित शशिशेखर ने बताया आखिर इसके पीछे की असल वजह क्या होती है? पंडित जी का कहना है कि सूर्य को प्रसन्न करने के लिए लोग महंगे-महंगे रत्न और माणिक्य धारण कर लेते हैं, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि उस माणिक्य का असल नहीं होता है। या जो फल पूरा चाहते हैं वो मिल नहीं पा रहा होता है।
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। लोग तरह-तरह के रत्न धारण करते है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि विभिन्य रत्नों के पहनने के बावजूद इसका फायदा नहीं होता। एबीपी गंगा की इस खास सीरिज रत्न रहस्य में पंडित शशिशेखर ने बताया आखिर इसके पीछे की असल वजह क्या होती है?
पंडित जी का कहना है कि सूर्य को प्रसन्न करने के लिए लोग महंगे-महंगे रत्न और माणिक्य धारण कर लेते हैं, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि उस माणिक्य का असल नहीं होता है। या जो फल पूरा चाहते हैं वो मिल नहीं पा रहा होता है। क्या आपने कभी इससे पीछे का कारण सोचा है? दरअसल, हम परिवार के किसी अनमोल रिश्ते को नजरअंदाज कर रहे होते हैं। इसकी का असर होता कि हमें मनचाहा फल नहीं मिल पाता है।
माणिक्य रत्न धारण करने वाले के लिए ये अनमोल रिश्ता कौन सा है ?
- माणिक्य रत्न का सीधा रिश्ता होता है पिता से।
- परिवार का मुखिया होता है पिता और ग्रहों का मुखिया सूर्य... माणिक्य ग्रह राजा सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है
- माणिक्य का मनोवांछित फल नहीं मिल रहा है तो अपने पिता से स्वयं के रिश्ते को देखें।
- ये भी कहा जा सकता है कि माणिक्य को एक्टिवेट करने के लिए पिता के आशीर्वाद और प्रसन्नता की जरूरत पड़ती है।
- यदि माणिक्य धारण कर रखा है और पिता का सम्मान नहीं कर रहे हैं, पिता की आज्ञा का पालन नहीं करते या पिता दुखी हैं, तो निश्चित जान लीजिए माणिक्य के फल में भयंकर कमी आ जाएगी।
- एक बात बहुत ही जरूरी है कि यदि पिता की सेवा करने का अवसर प्राप्त हो तो उसे बिल्कुल न जाने दें।
- कम से कम 5 मिनट पिता के पैर अवश्य दबाएं।
- पिता की पीड़ा को आप हरेंगे तो सूर्य भगवान आपकी पीड़ा हरेंगे।
- सुबह घर से निकलते समय पिता के चरण स्पर्श करके निकलें, उनका आशीर्वाद कवच की तरह कार्य करेगा।
- यदि आप जॉब और व्यापार की वजह से साथ नहीं रह पा रहे हैं तो प्रतिदिन पिता से फोन पर अवश्य बात करें।
- आज कल तो स्मार्ट फोन सबके हाथों में है पिता जी से वीडियो कॉल पर उनके दर्शन करते हुए उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ें।
- पिता की आवश्यकताओं को बिना कहे पूरा करें इससे पिता का आशीष सदा आपके साथ रहेगा।
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