पटना, एबीपी गंगा। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के शताब्दी समारोह के मौके पर केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि साहित्य सम्मेलन ने युवा साहित्यकारों को सम्मानित कर बड़ा काम किया है। यह बिहार के लिए गर्व की बात है। मंत्री ने कहा कि आज का युग तकनीक का युग है। ऐसे में आप सभी रचनाकार तकनीक का प्रयोग कर हिदी भाषा को आगे बढ़ा सकते हैं। हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है। इसका स्वभाव सरल और शांत है। आज कई ऐसे अंग्रेजी शब्द स्टेशन, कॉलेज, कोर्ट हैं, जिसका प्रयोग हिदी में हो रहा है। टेक्नोलॉजी के प्रयोग से हिदी का दायरा बढ़ा है। प्रसाद ने कहा कि देश बदल रहा है। ऐसे में आप सभी साहित्यकार नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने के लिए काम करें।
नई पीढ़ी के लिए साहित्य जरूरी
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र ने कहा कि नई पीढ़ी के लिए साहित्य जरूरी है। सम्मान समारोह के मौके पर देश के अलग-अलग कोने से आए साहित्यकार विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के साथ साहित्य का सृजन करने में लगे हैं, जो बड़ी बात है। साहित्य का महत्व समाज को आइना दिखाना है। समाज की हर बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए साहित्य की धार को मजबूत बनाने की जरूरत है।
शांति प्राप्त करने के लिए साहित्य जरूरी
विवि सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. शशि शेखर तिवारी ने कहा कि मनुष्य के हृदय को शांति नहीं। इस शांति को प्राप्त करने के लिए साहित्य जरूरी है। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि सम्मेलन के सौ वर्ष पूरे होने पर कई प्रकार की गतिविधियों को मूर्त रूप दिया गया है। युवा साहित्यकारों को सम्मानित करना सम्मेलन के लिए गौरव की बात है।
रचनाओं पर काम करने की जरूरत
साहित्य सम्मेलन में डॉ. कुमार अरुणोदय ने कहा कि सम्मेलन की ओर से इस प्रकार के आयोजन साहित्यकारों को एक नई ऊर्जा देगा। आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करें। इसके लिए रचनाओं पर काम करने की जरूरत है। नई पीढ़ी समाज और साहित्य से दूर होती जा रही है।
युवा साहित्यकारों को किया गया सम्मानित
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में सम्मान समारोह के मौके पर देश के अलग-अलग कोने से आए युवा साहित्यकारों को अंग वस्त्र और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों 100 साहित्यकारों में अंडमान-निकोबार से बी अभिषेक, डॉ. अंजनी, यूपी से राहुल अवस्थी, आलोक शर्मा, उतराखंड से कविता भट्ट, कर्नाटक से सतीश पांडेय, तमिलनाडु से डॉ. के गौरी, तेलंगाना से प्रवीण प्रणव, दिल्ली से सारिका, आंध्र प्रदेश से डॉ. दीपा गुप्ता, झारखंड से नंदनी प्रनय बिहार से लता प्रासर, कुंदन आनंद, डॉ. प्रभात कुमार प्रभाकर, मुकेश मृदुल सहित अन्य रचनाकारों को सम्मानित किया गया।
युवा रचनाकारों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं
मंच का संचसलन भूपेंद्र कलसी, डॉ. शंकर प्रसाद ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिववंश पांडेय ने की। समारोह के दौरान कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ, जिसमें युवा रचनाकारों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं एवं 'राजभाषा के संबंध में भारत के युवाओं के विचार' विषय पर लोगों ने अपनी राय दी।