नई दिल्ली। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की कार्रवाई के बाद बैंक के ग्राहक परेशान हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा अचानक ये क्या हो गया। आरबीआई ने पीएमसी बैंक के लेनदेन पर 6 महीने के लिये रोक लगा दी है। यही नहीं बैंक के ग्राहक अपने खाते एक हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते हैं। आरबीआई द्वारा नियुकत किये गये एडमिनीस्ट्रेटर जीबी भोरिया ने बताया कि किसी भी ग्राहक को परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) की व्यवस्था है, जिसमें बैंकों में जमा एक लाख रुपये की रकम की सरकार गारंटी देती है।
उन्होंने आश्वासन देते हुये कहा कि बैंक के पास अपनी संपत्तियां भी हैं। उन्होंने कहा कि हम हालात को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं। भोरिया ने बताया कि पहली नजर में पीएमसी के साथ बैड लोन का मामला दिख रहा है, लेकिन मैं यह भी कहना चाहूंगा कि बैंक ने सारे लोन जमानत पर दिए हैं।
क्या है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियम
रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी कॉमर्शियल और सहकारी बैंकों में जमा एक लाख रुपये तक की रकम डीआईसीजीसी के तहत इंश्योर्ड है। इसका लाभ सिर्फ प्राइमरी को-ऑपरेटिव सोसायटी को नहीं मिलता। बैंकिंग एक्सपर्ट की मानें तो पीएमसी बैंक को अगर लिक्विडेट किया जाता है तो ग्राहक को एक लाख रुपये तक की जमा राशि वापस की जाएगी।
सभी तरह के खातों का होता है बीमा
डीआईसीजीसी के नियमों के अनुसार, एक लाख रुपये के जमा और उस पर मिलने वाला ब्याज इंश्योर्ड होता है। इसमें चालू खाता, बचत खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि सभी कवर होते हैं। अगर आपने एक लाख रुपये से अधिक रकम जमा की हुई है तो बैंक के दिवालिया होने पर आपको ब्याज सहित एक लाख रुपये का डिपॉजिट ही वापस मिलेगा।
संयुक्त खाते के मामले में क्या होगा?
रिजर्व बैंक का नियम कहता है कि DICGC योजना के तहत एकल और संयुक्त खाता अलग-अलग कवर होंगे।