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2019 चुनाव में मोदी सरकार ने प्रचंड जीत हासिल कर सत्ता में वापसी की और आज बहुमत की ये सरकार आपना पूर्ण आम बजट पेश करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में बजट पेश करेंगी। बता दें कि निर्मला सीतारमण पहली महिला वित्त मंत्री हैं, जो आज आम बजट पेश करने जा रही है। 49 साल पहले 28 फरवरी 1970 में इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया था। उस वक्त वे बतौर प्रधानमंत्री वित्त मंत्रालय का काम संभाल रही थीं।

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बदलते वक्त के साथ बजट पेश करने की परंपराएं भी बदलती गईं। कुछ साल पहले तब आम बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था। पहली बार साल 2001 में सुबह 11 बजे बजट पेश किया गया था। इससे पहले तक बजट शाम 5 बजे पेश होता था। इससे पीछे भी तर्क रहा है। दरअसल, भारत में जब अंग्रेजों का शासन था, तो उस वक्त भारत की शासन व्यवस्था को ब्रिटेन से संचालित किया जाता था। ब्रिटेन में सुबह 11 बजे बजट पेश किया जाता था, जिसमें भारत का बजट भी शामिल होता था।

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जिस वक्त ब्रिटेन में बजट पेश होता था, उस वक्त वहां सुबह के 11 बज रहे होते थे, जबकि भारत में इसे पारित होने का समय शाम 5 बजे होता था। इस परंपरा को 2001 में खत्म किया गया। साल 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने पहली बार सुबह 11 बजे बजट पेश कर नई परंपरा की शुरुआत की थी।

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मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से बजट से जुड़ी कई परंपराओं में बदलाव हुआ है। पहले फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश होता था, जिसे मोदी सरकार ने बदलकर एक फरवरी कर दिया। इसके अलावा रेल बजट और आम बजट के एक ही में शामिल कर दिया। जबकि पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश होता था।

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ब्रीफकेस और बजट से जुड़ा किस्सा की काफी रोचक रहा है। दिलचस्प बात ये है कि बजट का नाम ब्रीफकेस से जुड़ा हुआ है। दरअसल, इससे जुड़ा एक किस्सा है साल 1733 का, जब देश की खस्ता हालत को देखने के बाद ब्रिटिश सरकार के प्रंधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल ने संसद में बजट पेश किया था। उस वक्त जब वे बजट पेश करने पहुंचे थे, तो उनके हाथ में एक चमड़े का थैला था। जिसके अंदर बजट के दस्तावेज थे। इस चमड़े के थैले को फ्रेंच भाषा में 'बुजेट' कहा जाता था, इसका बाद में बजट नाम पड़ गया। 26 जनवरी, 1947 में देश के पहले बजट की कॉपी भी चमड़े के थैले में संसद पहुंची। फिर ये परंपरा बदलते हुए मनमोहन सिंह ब्रीफकेस लेकर आए। उसके बाद अटल की सरकार में भी ये परंपरा चलती रही। यशवंत सिन्हा के हाथ में भी बजट पेश करने के दौरान ब्रीफकेस दिखा। फिर पी चिदंबरम, प्रणब मुखर्जी, अरुण जेटली से लेकर पीयूष गोयल भी बजट के दस्तावेज ब्रीफकेस में लेकर संसद पहुंचे। इस बार निर्मला सीतारमण ने ये परंपरा बदली और मखमली लाल कपड़े के अंदर बजट की कॉपी लेकर संसद पहुंचीं।

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साल 1955-56 से पहले तक बजट पेपर सिर्फ अंग्रेजी में छपता था, फिर परंपरा बदली और बजट पेपर हिंदी में तैयार किए जाने लगे।

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भारत की आजादी के बाद से अबतक देश में 88 केंद्रीय बजट पेश किए जा चुके हैं। जिसमें बतौर वित्तमंत्री मनमोहन सिंह का बजट भाषण सबसे लंबा रहा था। साल 1991 में उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए 18,177 शब्दों का सबसे लंबा बजट भाषण दिया था। जबकि 800 शब्दों का सबसे छोटा बजट भाषण 1977 में एचएम पटेल ने पेश किया था।

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देश की आजादी के बाद पहला केंद्रीय आम बजट 15 अगस्त 1947 पेश किया गया था, जो सिर्फ 31 मार्च 1948 तक के लिए ही था। दरअसल, भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के कारण ये निर्धारित समय तक नहीं था। इसके बाद 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री रहे आरके शनमुखम चेट्टी ने देश का पहला आम बजट पेश किया था।

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देश के आम बजट के इतिहास पर नजर डालें तो जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी...ये देश के वो तीन प्रधानमंत्री रहे हैं, जो आम बजट भी पेश कर चुके है। 1970 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री के साथ ही वित्तमंत्री का भी पदभार संभाला और वे देश की पहली महिला वित्त मंत्री रहीं, जिन्होंने आम बजट पेश किया।

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बता दें कि प्रणब मुखर्जी और आर वेंकटमन देश के ऐसे दो वित्तमंत्री रहे हैं, जो बाद में देश के राष्ट्रपति भी बने। वहीं, आरबीआई के पहले गवर्नर सीडी देशमुख ने भी बाद में वित्तमंत्री बने और 1991 का आम बजट पेश किया। मोरारजी देसाई ने रिकॉर्ड 10 बार देश का बजट पेश किया। चिंदबरम ने बतौर वित्त मंत्री 8 बार, तो प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चव्हाण और सीडी देशमुख ने 7-7 बार आम बजट पेश किया है। यशवंत सिन्हा, मनमोहन सिंह और अरुण जेटली पांच बार बजट पेश कर चुके हैं।