Mahakumbha Mela 2025: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में जहां एक तरफ श्रद्धालुओं की संख्या का इतिहास बनेगा तो वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद से दुनिया का सबसे बड़ा हेडकाउंट कर नया रिकॉर्ड कायम करेगी. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार के महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आएंगे. 


श्रद्धालुओं की संख्या का सही आकलन करने के लिए योगी सरकार टेक्नोलॉजी के जरिए एक-एक श्रद्धालु का हेडकाउंट करने की तैयारी में है. योगी सरकार की यह कवायद महाकुंभ ही नहीं, बल्कि किसी भी बड़े आयोजन में दुनिया के अंदर का सबसे बड़ा हेडकाउंट होगी. सीएम योगी के निर्देश पर मेला प्रशासन एआई तकनीक के साथ ही कई अन्य विधियों के जरिए भी इस अनूठी उपलब्धि को हासिल करने की कोशिश में जुट गया है. दावा किया जा रहा है कि इस बार के महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सही संख्या का पता 95 फ़ीसदी तक लगाया जा सकेगा.


कुंभ और महाकुंभ में हमेशा ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं, लेकिन अभी तक इनकी संख्या को काउंट करने की कोई सटीक तकनीक नहीं थी. योगी सरकार इस बार एआई कैमरों के साथ ही कई अन्य तकनीकों का सहारा लेकर एक-एक श्रद्धालु की गिनती करने की कोशिश में है. श्रद्धालुओं को ट्रैक करने के लिए महाकुंभ क्षेत्र में 200 जगहों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जबकि शहर के अंदर 268 स्थानों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इसके साथ ही 100 से ज्यादा पार्किंग स्थलों पर 720 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं. 


"बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हेडकाउंट बड़ी चुनौती"
महाकुंभ की व्यवस्था से जुड़े अफसरों के मुताबिक आई ट्रिपल सी एवं पुलिस लाइन कंट्रोल रूम के अतिरिक्त अरैल एवं झूंसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं, जहां से श्रद्धालुओं की मॉनीटरिंग करने का प्रयास किया जा रहा है. अफसरों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हेडकाउंट बड़ी चुनौती है, लेकिन इसमें एआई का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण होगा. एआई का उपयोग करते हुए क्राउड डेंसिटी से लोगों के काउंटिंग का भी प्रयास किया जा रहा है. एआई आधारित क्राउड मैनेजमेंट रियल टाइम अलर्ट जनरेट करेगा, जिसके माध्यम से संबंधित अधिकारियों को श्रद्धालुओं की काउंटिंग एवं ट्रैकिंग करना आसान होगा.  


महाकुंभ में हेडकाउंट का काम देख रहे टेक्निकल स्टाफ के मुताबिक एक श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल महत्वपूर्ण होता है. इसको ट्रैक करने के लिए एडवांस  टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है. घाट क्षेत्र में एक तीर्थयात्री द्वारा औसतन लिया गया समय टर्नअराउंड साइकिल माना गया है. इसके तहत कोचरन्स फॉर्मूला के आधार पर सैंपल की संख्या निकाली जाती है. नॉन पीक दिनों में अनुमानित जनसंख्या 20 लाख और पीक दिनों में 10 करोड़ लेते हुए सैंपल काउंट किया जाता है. 


अफसरो के मुताबिक टर्नअराउंड समय निर्धारित 3 विधियों के माध्यम से प्राप्त सैंपल्स का औसत आंकड़ा होगा. इसमें पहला एट्रिब्यूट आधारित खोज होगा, जिसके तहत पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाएगी. दूसरा आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित होगा,जिसमें प्रमुख स्नान के साथ-साथ महाकुंभ में प्रत्येक दिन आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड प्रदान किए जाएंगे. 


आरएफआईडी रीडर के माध्यम से रिस्ट बैंड को ट्रैक किया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि तीर्थयात्री ने मेला क्षेत्र में कितना समय बिताया, कितनी देर वह अंदर रहा और कितनी देर बाहर रहा. तीसरी विधि मोबाइल एप के द्वारा ट्रैकिंग होगी, जिसमें तीर्थयात्रियों की सहमति पर मोबाइल एप के जीपीएस लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग की जा सकेगी. इन सभी विधियों के जरिए हेडकाउंट की टेस्टिंग का कार्य प्रगति पर है.


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