प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग के लिए अबूझ पहेली बन चुकी अनामिका शुक्ला को लेकर चौंकाने वाला मामला सामने आया है. ABP गंगा को अनामिका शुक्ला के एजूकेशनल डाक्यूमेंट्स मिल गए हैं. ये डाक्यूमेंट्स पहली बार सार्वजनिक हुए हैं और ABP गंगा चैनल को एक्सक्लूसिव हासिल हुए हैं. इन डाक्यूमेंट्स से साफ है कि 28 साल की अनामिका हमेशा ही होनहार छात्रा रही है. दसवीं से लेकर बीएड और टीईटी के क्वालिफाइंग इम्तहान में उसे फर्स्ट डिवीजन मार्क्स हासिल हुए है.


ABP गंगा की पड़ताल में एक और खुलासा हुआ है कि प्रयागराज के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में सिर्फ अनामिका शुक्ला के डाक्यूमेंट्स का इस्तेमाल हुआ था. यहां खुद अनामिका नहीं बल्कि फर्रुखाबाद जिले की रीना सिंह नौकरी कर रही थी. हालांकि, प्रयागराज में अनामिका के नाम पर नौकरी करने वाली रीना को यहां अभी एक भी पैसे का भुगतान नहीं हुआ था.



हमारी पड़ताल में इस मामले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. अनामिका के नाम पर उसके जो भी एजुकेशनल डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के वक्त लगाए गए थे, उन सब में लगी फोटो को धुंधला कर दिया गया था. इसके बावजूद विज्ञान टीचर के पद पर चयनित कथित अनामिका का इतिहास खंगाले बिना उसे नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया, जिसका खामियाजा आज विभाग को भुगतना पड़ रहा है. विभाग अनामिका नाम की गणित में इस कदर उलझ गया है कि उसे अब कहीं जवाब देते नहीं बन रहा है. ABP गंगा के पास अनामिका शुक्ला के नाम पर नौकरी करने वाली रीना सिंह की एक्सक्लूसिव फोटो भी है.



ABP गंगा को अनामिका के एजुकेशनल डाक्यूमेंट्स की जो एक्सक्लूसिव कॉपी मिली है, उसके मुताबिक उसने दसवीं और बारहवीं की परीक्षा यूपी बोर्ड से पास की थी. डाक्यूमेंट्स के मुताबिक अनामिका का जन्म 20 जनवरी 1992 को हुआ था. वह गोंडा की रहने वाली है और उसके पिता का नाम सुभाष चंद्र शुक्ला और मां का नाम सुषमा शुक्ला है. मिले दस्तावेज के मुताबिक अनामिका ने दसवीं का इम्तहान 2007 में फर्स्ट डिवीजन ऑनर्स के साथ पास किया था. उसने गोंडा जिले की रेलवे कॉलोनी स्थित के बालिका इंटर कॉलेज से पढ़ाई की थी और उसका रोल नंबर 1933977 था. दसवीं के 6 में से 5 सब्जेक्ट में उसे डिक्टेंशन यानी 75 फीसदी से ज्यादा नंबर हासिल हुए थे. इसी तरह बारहवीं का इम्तहान भी उसने यूपी बोर्ड से गोंडा जिले के SMJSIC से पास किया था. यह कॉलेज गोंडा के परसपुर इलाके में स्थित है. बारहवीं का इम्तहान भी उसने फर्स्ट डिवीजन ऑनर्स के साथ पास किया था.



अनामिका ने साल 2012 फैजाबाद जिले की डा राम मनोहर लोहिया अवध युनिवर्सिटी से बीएससी का इम्तहान फर्स्ट डिवीजन से पास किया था. उसने बीएससी की पढ़ाई इस युनिवर्सिटी से जुड़े गोंडा के सिविल लाइंस इलाके के रघुकुल महिला विद्यापीठ डिग्री कॉलेज से की थी. अनामिका ने फैजाबाज की लोहिया अवध युनिवर्सिटी से ही साल 2014 में बीएड किया था. बीएड के थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों में ही उसे फर्स्ट डिवीजन मार्क्स हासिल हुए थे. बीएड की पढ़ाई उसने इस युनिवर्सिटी द्वारा संचालित आंबेडकर नगर जिले की टांडा तहसील की जियापुर बरुआ इलाके के आदर्श कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय से की थी. अनामिका ने साल 2015 में यूपी टीईटी को क्वालीफाई किया था.



प्रयागराज में अनामिका शुक्ला के नाम पर जिले की सोरांव तहसील के कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय में पिछले साल यानी 2019 में 29 नवम्बर को नियुक्ति हुई थी. नियुक्ति के लिए आने वाली महिला ने अपना नाम अनामिका शुक्ला बताया था और उसी के डाक्यूमेंट्स वेरिफाई कराए थे. पिछले हफ्ते जब अनामिका के मामले में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा होना शुरू हुआ तो प्रयागराज में भी पड़ताल हुई. पड़ताल में यह साफ हुआ है कि अनामिका के नाम पर यहां भी नियुक्ति हुई है. अनामिका के नाम पर सोरांव ब्लॉक के कस्तूरबा विद्यालय में फुल टाइमर साइंस टीचर की नियुक्ति हुई थी. कथित अनामिका इसी आवासीय बालिका विद्यालय में रहती थी. कांट्रैक्ट के मुताबिक कथित अनामिका को सेवा के बदले हर महीने 22 रूपये भत्ते के तौर पर मिलने थे.



प्रयागराज में शिक्षा विभाग द्वारा की गई पड़ताल में यह साफ हुआ कि यहां अनामिका नहीं बल्कि उसके नाम पर फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज इलाके की रहने वाली रीना सिंह नौकरी करती थी. रीना के पिता का नाम चन्द्रभान सिंह है. रीना यहां खुद को अनामिका शुक्ला बताकर सामने आई और इस दौरान अनामिका के डाक्यूमेंट्स लगाए गए. कस्तूरबा विद्यालय की कार्यवाहक वार्डन आरती सिंह के मुताबिक अनामिका ने फोटो कॉपी के साथ ही ओरिजनल डाक्यूमेंट्स भी दिखाए थे.


ओरिजनल सर्टिफिकेट और मार्कशीट व उनकी फोटो कॉपी में कोई फर्क न होने की वजह से उसे 29 नवम्बर को ही नियुक्ति पत्र दे दिया गया था. वह लगातार यहीं रूककर नौकरी भी कर रही थी. रीना ने सभी एजुकेशनल सर्टिफिकेट तो अनामिका के लगाए थे, लेकिन निवास प्रमाण पत्र अपना लगाया था. हालांकि इसमें काटपीट कर रीना और उसके पिता चन्द्रभान की जगह अनामिका शुक्ला और उसके पिता सुभाष शुक्ला लिख दिया गया था.



बहरहाल अनामिका के नाम पर गड़बड़ी पाए जाने के बाद जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुशवाहा की शिकायत पर प्रयागराज पुलिस ने फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज कर ली है. कथित अनामिका के नाम पर शहर की कर्नलगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है. प्रयागराज के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का कहना है कि इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है और जल्द ही जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.


बीएसए संजय कुशवाहा के मुताबिक अनामिका शुक्ला को प्रयागराज के कस्तूरबा विद्यालय से बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. राहत की बात सिर्फ इतनी रही कि कथित अनामिका शुक्ला उर्फ रीना सिंह को प्रयागराज से एक भी महीने की सैलरी अभी नहीं दी गई थी. उसने दो महीने बैंक का खाता खुलवाने में लगा दिया था और उसके बाद लॉकडाउन के चलते विद्यालय में छुट्टी कर दी गई थी.



वैसे इस मामले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. दरअसल, सभी जगहों पर डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन में लापरवाही बरती गई. प्रयागराज के कस्तूरबा विद्यालय में शिक्षकों व कर्मचारियों की लिस्ट चस्पा की गई है, उसमें अनामिका का नाम भी नहीं है. विद्यालय की वार्डन आरती सिंह के मुताबिक यह लिस्ट पुरानी है और अनामिका उर्फ रीना ने लिस्ट लगने के बाद ज्वाइनिंग की थी. बहरहाल ABP गंगा के पास कथित अनामिका शुक्ला के जो डाक्यूमेंट्स हाथ लगे हैं, उसके आधार पर असली अनामिका का पता लगाकर सच को सामने लाया जा सकता है.



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