उत्तराखंड के चांदपुर गढ़ी का इतिहास, आज भी मौजूद हैं सुनहरे दिनों के अवशेष
उत्तराखंड के चमोली जिले में चांदपुर गढ़ी का इतिहास आज भी अपनी सुनहरी यादों के अवशेष के साथ मौजूद हैं. ये प्रदेश के 52 गढ़ों में से एक है.
देहरादून: चांदपुर उत्तराखंड की ऐतिहासिक जगहों में से एक है. प्रदेश के प्रमुख गढ़ों में से एक चांदपुर गढ़ी है, जिसके अतीत के सुनहरे दिनों के अवशेष आज भी मौजूद हैं. चमोली जिले में कर्णप्रयाग के निकट चांदपुर गढ़ी एक पहाड़ी पर स्थित है. सड़क से करीब 500 मीटर ऊपर जाकर आप चांदपुर गढ़ी पहुंच सकते हैं. यहां आज भी राजाओं के कमरे मौजूद हैं, साथ ही चबूतरे में एक मंदिर भी है.
52 गढ़ों में से एक चांदपुर गढ़ी
इतिहास के पन्नों पर नज़र डालें तो उत्तराखंड में आठवीं-नवीं शताब्दी में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल मची थी. गढ़वाल क्षेत्र में अनेक छोटे-छोटे राज्य बनने लगे थे और माना जाता है कि, इसी दौरान चांदपुर गढ़ी में भानुप्रताप नामक शासक के काल में धारानगर से आये कनकपाल नाम के एक राजकुमार ने भानुप्रताप की बेटी से शादी की और उसके बाद कनकपाल को चांदपुर का राज्य मिल गया. राजा कनकपाल को गढ़वाल के पंवार वंश का संस्थापक भी माना जाता है. भले ही शत प्रतिशत सही इतिहास जो भी रहा हो, लेकिन आज भी चांदपुर गढ़ी में मौजूद अवशेष बहुत कुछ बयां करते हैं. उत्तराखंड में 52 गढ़ हैं और उन्हीं में से एक चांदपुर गढ़ है.
इस तरह है महल की संरचना
राजा कनकपाल ने आदिबद्री के निकट चांदपुर स्थित अपना गढ़ स्थापित किया जो आगे चलकर चांदपुर गढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ. यह जगह सड़क से करीब एक किमी की ऊंचाई पर स्थित है. इस महल में अनेक प्रकार के हस्तलिपि, कलाचित्र के अवशेष व विष्णु का मंदिर भी स्थापित है. महल की संरचना अवशेष के साथ ही रसोई, स्नानघर व पुजाघर भी है. स्थानीय लोगों के अनुसार महल के एक हिस्से से सुरंग है, जो करीब 500 फीट नीचे है, जो नदी के किनारे मिलती है.
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