मसूरी. जॉर्ज एवरेस्ट हाउस अब जल्द ही नए अंदाज में नजर आएगा. मार्च के अंत तक जॉर्ज एवरेस्ट का जीर्णोद्धार का काम खत्म हो जाएगा. जिसके बाद देश-विदेश से मसूरी आने वाले पर्यटकों को इसका नया रूप देखने को मिलेगा. जॉर्ज एवरेस्ट हाउस में सेंटर कम म्यूजियम, ऑडियो विजुअल थियेटर, स्टार गेजिंग, ग्लास हाउस, डोम्स, ओपन एरिया थिएटर, सेल्फी प्वाइंट और मोबाइल फूड वैन लगाई जा रही है. साथ ही वन आरक्षित क्षेत्र होने के कारण शौचालयों की जगह पर कम्पोस्ट टॉयलेट का निर्माण किया जा रहा है.


पुराने स्वरूप में ही दिखेगा जॉर्ज एवरेस्ट हाउस
जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के साइट इंजीनियर कुलदीप शर्मा ने बताया कि इसके जीर्णोद्धार का काम लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है. अब फिनिशिंग का काम चल रहा है. अगर मौसम ने साथ दिया तो 31 मार्च तक काम पूरा हो जाएगा और जॉर्ज एवरेस्ट हाउस नई सुविधाओं, नए लुक के साथ नजर आएगा. खास बात है कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस अपने पुराने स्वरूप में ही नजर आयेगा. उन्होंने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के मुख्य ग्राउंड में जॉर्ज एवरेस्ट द्वारा मसूरी में रिसर्च के दौरान इस्तेमाल की गई मशीन का एक नमूना प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही यहां पार्किंग की विशेष सुविधा होगी.


दाल और चूने के मिक्स से हो रही चिनाई
उन्होने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट के जीर्णोद्धार के लिए 23 करोड़ 71 लाख रुपए की योजना के तहत कार्य किया जा रहा है. जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के मूल स्वरूप को संरक्षित करने के लिए पुरानी तकनीक दाल और चूने को पीसकर मिक्स कर पुराने जमाने के हिसाब से चिनाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि हाथीपांव से लेकर जॉर्ज एवरेस्ट तक आधुनिक तकनीक से सड़क का निर्माण किया जा चुका है. वहीं सड़क किनारे रेलिंग लगाये जाने का कार्य पूरा हो चुका है. हाउस के आसपास के क्षेत्र में ट्रैक रूट भी बनाया जा रहा है.


उन्होंने आगे बताया कि एवरेस्ट हाउस में बनने वाले संग्रहालय में जॉर्ज एवरेस्ट के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले इक्विपमेंट्स ,डायरी सहित अन्य सामानों को रखा जाएगा. जिससे देश-विदेश के मसूरी आने वाले पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को जॉर्ज एवरेस्ट के बारे में जानकारी मिल सके.


क्या कहता है इतिहास
ब्रिटिश काल में सर जॉर्ज एवरेस्ट ने 1832 से लेकर 1843 तक मसूरी के पार्क स्टेट हाथी पांव स्थित इसी भवन में रहकर हिमालय की थाह ली. यहां रहते हुए ही सर जॉर्ज एवरेस्ट ने द ग्रेट ट्रिगनोमेट्रिक सर्वे आफ इंडिया जैसी अहम उपलब्धि हासिल की थी. उन्होंने कभी देहरादून और मसूरी में रहकर हिमालय की ऊंचाई को नापा था. उन्होंने भारत सहित कई देशों की ऊंची चोटियों की खोज के साथ-साथ उनका मानचित्र तैयार किया था.


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