गोंडा: गोंडा जिला प्रशासन बरसात के मौसम से पहले किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां करने में जुटा हुआ है और बांध की मरम्मत के लिए लगातार काम करने के दावे किए जा रहे हैं. बीते कई सालों से बांध निर्माण व बांध के मरम्मत और बाढ़ की तैयारियों के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है, लेकिन अभी तक बाढ़ से वहां के क्षेत्रीय लोगों को निजात नहीं मिल पाई है. जैसे ही जून जुलाई का महीना आता है, बांध किनारे रह रहे ग्रामीणों में दहशत हो जाती है कि एक बार भी बाढ़ की तबाही का सामना करना पड़ेगा. हर साल बाढ़ आती है, लोगों के घर उजड़ जाते हैं और लोग आशियाना बनाकर रहने को मजबूर हो जाते हैं. फिलहाल जिला प्रशासन आगामी बाढ़ से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम करवाने में जुटा हुआ है. लगातार जिलाधिकारी द्वारा कराए गए कार्यों का निरीक्षण किया जा रहा है. बीते दिनों बार-बार जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह स्थलीय निरीक्षण कर सिंचाई विभाग को निर्देशित किया था कि जल्द से जल्द काम को पूरा करें.
अधिकारी लापरवाह बने रहे
भिखारीपुर सकरौर तटबंध 22 किलोमीटर नंदौर से सिंदूरी तक का तटबंध है. इसका प्रोजेक्ट का काम बीते 22 जनवरी को जारी कर दिया गया था, कि लगातार तटबंध के मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. लेकिन पिछले वर्ष सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते तटबंध कट जाने से लाखों की आबादी प्रभावित हुई थी और उसी बांध की मरम्मत और आगामी बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए काम किया जा रहा है. लगातार अधिकारियों द्वारा वहां पर निरीक्षण किया जा रहा है, लेकिन सिंचाई विभाग के लापरवाह अधिकारी हैं वह अपनी कार्यशैली से बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है, कि क्या इस बार लोग बाढ़ का दंश झेलेंगे, जिससे ग्रामीण परेशान चल रहे हैं, वहीं, जिला प्रशासन लगातार आगामी बाढ़ से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम करवा रहा है.
मानक के हिसाब से नहीं हो रहा काम
वहीं, भिखारीपुर-सकरौर बांध के पास ऐली परसोली गांव के ग्रामीण बता रहे हैं कि, सिंचाई विभाग द्वारा काम तो कराया जा रहा है लेकिन वह मानक के हिसाब से नहीं करवाया जा रहा है. जैसे ही बाढ़ आएगी नदी में पानी आएगा यह बालू की बोरी कटकर बह जाएगी और बाढ़ फिर से आ जाएगी. पिछले बांध काटने से सारी फसल व घर बर्बाद हो गए अब हम लोग अलग घर बनाकर रहते हैं.
डीएम का बयान
वहीं, जिला अधिकारी मार्कंडेय शाही का कहना है कि आगामी बाढ़ से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है. बीते वर्ष बांध कटने से लोग प्रभावित हुए थे. गोंडा के दो तहसील क्षेत्र में लगभग लाखों की आबादी प्रभावित होती है. 1264 गांव में हजारों घर प्रभावित होते हैं. लगभग एक लाख की आबादी प्रभावित होती है. सभी बाढ़ चौकियों को बना दिया गया है, जैसे ही नदी में पानी डेंजर लेवल के आसपास आएगा सभी को बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया जाएगा.
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