King George's Medical University: देश में लगातार ओरल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. इससे मरीजों और डॉक्टरों की चिंता भी बढ़ गई है. यह सामने आया है कि कैंसर के बढ़ते मामलों में ओरल कैंसर के मामले काफी ज्यादा होते हैं, जिनका मुख्य कारण तंबाकू सेवन माना जाता है. किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के शोधार्थियों ने ओरल कैंसर की जांच के लिए आसान तरीका खोजा निकाला है.
तो ये जटिल प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ेगी
इससे बार-बार बायोप्सी जैसी जटिल प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ेगी. केजीएमयू के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग बहुविषयक अनुसंधान इकाई (डीएचआर-एमआरयू) की फैकल्टी इंचार्ज और नोडल अधिकारी प्रो. दिव्या मेहरोत्रा ने पाया कि खून के नमूनों से मार्करों द्वारा कैंसर का पता लगाया जा सकता है.
मार्करों से कैंसर का पता चल सकता है
प्रो. दिव्या मेहरोत्रा ने आगे बताया पहला शोध बीसीएल-2 और एचएसपी-70 मार्कर पर किया है. इसमें कैंसर से जूझ रहे और इस बीमारी के लिहाज से संवेदनशील 300 मरीजों के खून के नमूने लिए गए. उनसे मार्करों को निकाल कर मरीजों के कैंसर टिश्यू (ऊतकों) का मिलान किया गया. इसमें पता चला कि मार्करों के माध्यम से कैंसर की अवस्था का पता लगाया जा सकता है. इससे बार-बार बायोप्सी जांच नहीं करनी पड़ेगी.
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प्रो. दिव्या मेहरोत्रा का दूसरा शोध
दूसरा शोध विटामिन ए और उससे होने वाले उत्पादों द्वारा कैंसर निवारण को लेकर किया. करीब 250 मरीजों पर हुए इस शोध में विटामिन ए और उससे जुड़े मार्करों के अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों में विटामिन-ए को प्रतिसरित (रिवर्स) करने वाला एंजाइम तंत्र नहीं होता या वह ठीक तरीके से काम नहीं करता तो उनके कैंसर की चपेट में आने की संम्भावना बढ़ जाती है. इससे उनके इलाज में एंटीआक्सीडेंट विटामिन के अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते. इन दोनों शोध में डीएचआर एमआरयू के विज्ञानी डा. राहुल पांडेय, और प्रो. गीता सिंह, ओरल पैथालाजी के अध्यक्ष प्रो. शालीन चन्द्रा, डा. रूबी द्विवेदी और एकता एंथोनी भी शामिल रहे.