प्रयागराज. पिछले डेढ़ सालों से विवादों में घिरी उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में एक नया पेंच फंस गया है. इस भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को 10 फीसदी आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. अर्जी में रिजल्ट को निरस्त कर आरक्षण दिए जाने के बाद नए सिरे से नतीजे घोषित किये जाने की अपील की गई है.
हाईकोर्ट ने इस अर्जी पर सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब-तलब कर लिया है. अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि जब केंद्र सरकार ने सभी भर्तियों में गरीबों को अलग से 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने का कानून बनाया है तो इस भर्ती में आरक्षण क्यों नहीं दिया गया. अदालत ने यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते की मोहलत दी है. हाईकोर्ट इस मामले में 17 जुलाई को फिर से सुनवाई करेगा.
यह अर्जी विनय कुमार पांडेय समेत 42 अभ्यर्थियों की तरफ से दाखिल की गयी थी. मामले की सुनवाई जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच में हुई. इस मामले में यूपी सरकार के वकील ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन दिसम्बर 2018 में निकाला गया था. परीक्षा भी पिछले साल जनवरी महीने में ही हो गई थी. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने का कानून इसके बाद बना था. ऐसे में इस भर्ती में आरक्षण नहीं दिया जा सकता. हाईकोर्ट इससे पहले भी आरक्षण मामले में सरकार से जवाब-तलब कर चुका है. अब दोनों अर्जियों पर एक साथ ही सुनवाई होने की उम्मीद है.
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