सेवकों के स्वामी शनि ने साढ़ेसाती की रिपोर्ट में 'प्रधान सेवक' को किया पास
लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर से नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। मोदी और राहुल दोनों ही वृश्चिक राशि के हैं और वृश्चिक राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है। ऐसे में शनि ने साढ़ेसाती की रिपोर्ट में प्रधान सेवक को पास कर दिया है।
नई दिल्ली (पं. शशिशेखर त्रिपाठी)। देश के सबसे बड़े लोकतंत्र में आज दोबारा नरेंद्र मोदी ने विजय का शंखनाद कर दिया। विजय श्री का यह आशीर्वाद लोकतंत्र में खोखले वादे करने पर नहीं मिला, बल्कि पिछले पांच वर्ष में किए हुए ईमानदार कर्मों का फल है। शनि लोकतांत्रिक व्यवस्था को कंट्रोल करने वाला ग्रह है। ग्रहों के न्यायाधीश शनि हर व्यक्ति को अपने कर्मों के फल देने वाले देवता हैं। कर्मों के आधार पर ही किसी को सजा तो किसी को मजा देते हैं।
नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों की ही वृश्चिक राशि है और इस वक़्त वृश्चिक राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है। अंतरिक्ष में इस समय शनि देव वक्री हैं। क्रूर ग्रह वक्री हो जाता है तो वह और सख्त हो जाता है। शनिदेव के क्रूर होने का अर्थ है कि वह कर्मों का माइक्रो ऑडिट करने लगते हैं। अब नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी शनि की साढ़ेसाती यानी शनि का ऑडिट चल रहा है और शनि वक्री होते ही यह ऑडिट और सघन हो गया।
शनि के ऑडिट में कर्म करने का भाव यानी इंटेंशन देखा जाता है कि व्यक्ति ने समाज के लिए और गरीब के लिए जो काम किए हैं उसके पीछे कोई व्यक्तिगत स्वार्थ तो नहीं। शनि श्रमिकों के देवता हैं और गरीब असहाय मजदूर लोगों की यदि किसी ने पीड़ा हरी है या हरने का प्रयास किया है तो शनि देव की कृपा उसको प्राप्त होती है जो गरीबों के उत्थान के लिए तत्पर रहता है। यही नहीं सेवा भाव रखने वाले को पुनः वह यह अवसर भी प्रदान करते हैं।
शनि के इस सघन ऑडिट के बाद आज जो परिणाम आए हैं, जिसमें नरेंद्र मोदी ने अद्भुत विजय पताका फहराई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि न्याय के देवता शनि ने कर्मों के आधार पर नरेंद्र मोदी को अगले 5 वर्ष के लिए पुनः प्रधानमंत्री का दायित्व सौंप दिया है। एक विशेष बात यह है कि शनि जब अपना ऑडिट कर रहे होते हैं तो उस दौरान कोई व्यक्ति झूठ बोले, यह उन्हें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं। और मेरा यह मानना है की राहुल गांधी ने शनि की साढ़ेसाती के दौरान चौकीदार चोर है का जो नारा दिया वह असत्य था, जिसके लिए उन्होंने भारत की उच्चतम न्यायालय में क्षमा मांगी लेकिन नवग्रह के न्यायालय के न्यायाधीश शनि ने दंड स्वरूप उन्हें पराजय का स्वाद चखा दिया है। नरेंद्र मोदी की शनि की साढ़ेसाती का आखिरी दौर है जो कि जनवरी 2020 में समाप्त हो जाएगा और उसके बाद उनके मार्ग में आने वाली समस्त रुकावटें समाप्त हो जाएंगी और देश प्रगति की ओर बढ़ता जाएगा।
ऋषि पाराशर जी ने शनि को भृत्य कहा है। भृत्य का अर्थ है सेवक। मोदी जी ने स्वयं को प्रधान सेवक कहते हुए ही अपना परिचय जनमानस को दिया था। नरेंद्र मोदी का स्वयं को प्रधान सेवक कहना शनि के स्वभाव के अनुकूल बात हो गई जिससे भी शनि का आशीर्वाद मिलना तय हो गया था।
वहीं शनि की साढ़ेसाती को दीघ्र कल्याणी भी पाराशर जी ने कहा है। इसका अर्थ है कि शनि के साढ़े सात साल का सघन ऑडिट में यदि कर्म सेवकों की तरह रहें तो वह दीर्घ कल्याणी होती है। न्यायाधीश शनिदेव ने अब मोदी जी के सेवा भाव को सत्यापित कर दिया है तो यह तय जान लीजिए कि 2020 से प्रधान सेवक द्वारा देश के लिए दीर्घ कल्याणकारी कार्य किये जाएंगे। प्रधान सेवक की शिव भक्ति भी उनकी विजय श्री में अहम भूमिका निभाती है क्योंकि शनि ही शिव तत्व हैं। नरेंद्र मोदी की शिव भक्ति पूरा देश जानता है।