Etawah News: इटावा शहर से सटे ग्रामीण इलाके दतावली में आर्थिक तंगी और बीमारी के कारण 11 वर्षीय ऋषभ को न शिक्षा मिल रही है और न ही इलाज मिल रहा है. अब ऐसे में यह बच्चा जैसे-जैसे बड़ा हो रहा वैसे-वैसे ही समाज की मुख्यधारा और शिक्षा से भी दूर होता जा रहा है, क्योंकि पिछले सालों की बात करे तो बीमारी के नाम पर कई प्राइवेट स्कूलों ने ऋषभ के लिए अपने दरवाजे सिर्फ इसलिए बंद कर दिए क्योंकि ऋषभ को लगातार पेशाब होने के चलते उसके कपड़ों से बदबू आती थी. इसलिए स्कूल का कोई बच्चा उसके पास जाना और बैठना पसंद नही करता था.


दरअसल ऋषभ जन्म से ही एक बीमारी से ग्रस्त है. ऋषभ को 11 वर्षो से लगातार यूरीन ड्रॉप आउट की समस्या है. जिस कारण ऋषभ के कपड़े खराब हो जाते हैं और वह बदबू देने लगते हैं. जिस कारण वह जिस स्कूल में जाता है, वहां के बच्चे और शिक्षक मजबूरी में ऋषभ को अलग-थलग करने को मजबूर हो जाते हैं. ऋषभ पढ़ना चाहता है लेकिन उसकी बीमारी उसको शिक्षा और समाज से दूर कर रही है


वहीं इस बारे में सरकारी स्कूल की शिक्षिका सीमा यादव ने बताया कि कोविड के चलते जब वह गांव में मोहल्ला क्लास के लिए जाती थी, तब यह बच्चा ऋषभ मोहल्ला क्लास के दौरान अपने आस पड़ोस के बच्चों को पढ़ता हुआ देखकर बड़ी ही लगन से देखा करता था. लेकिन थोड़ी ही देर बाद में वहां से चला जाता था.


कई दिनों तक इस तरह चलता रहा जिसके बाद एक बार शिक्षिका सीमा यादव ने ऋषभ के घर जाकर उसके मां से बात की और पूछा कि वह किस स्कूल में पढ़ता है. तब जाकर ऋषभ की मां उषा देवी ने ऋषभ की बीमारी के बारे में बताया और कहा कि इस बीमारी के चलते उसे कई स्कूलों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. तब सीमा यादव ने ऋषभ की मां को भरोसा दिलाया कि जैसे ही सरकारी स्कूल खुलते हैं, वह ऋषभ का दाखिला अपने सरकारी स्कूल में करा देंगे. साथ ही ऋषभ की मां को उसके बेटे की इस बीमारी से लड़ने के लिए भी बराबर हौसला दिया और ऋषभ को सैफई पीजीआई में दिखाने की बात भी कही. वहीं जब इस वर्ष स्कूल खोलने पर ऋषभ का दाखिला सरकारी स्कूल में हुआ तो वहां भी ऋषभ की बीमारी के चलते क्लास के कई बच्चे ऋषभ से दूरी बनाने लगे. लेकिन शिक्षिका सीमा यादव ने ऋषभ की मानसिक स्थिति को समझते हुए उसको सामान्य बच्चों की तरह बराबर शिक्षा दे रही हैं.


वहीं इस बीमारी को लेकर ऋषभ की मां उसे सैफई पीजीआई भी ले गई थी लेकिन वहां से भी उसे लखनऊ पीजीआई ऑपरेशन कराने के लिए रेफर कर दिया गया. इस बारे में ऋषभ की मां उषा देवी ने बताया कि यह बीमारी बचपन से ही ऋषभ को थी. घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते गांव वालों और परिवार के लोगों ने ऋषभ पर अधिक धन खर्च ना करने की सलाह दी.


ऋषभ को लेकर यहां तक कह दिया गया कि वह ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहेगा इसलिए उस पर ज्यादा पैसा खर्च ना किया जाए. लेकिन धीरे-धीरे ऋषभ बड़ा होता गया और सामान्य बच्चों की तरह अपनी दिनचर्या के काम करता रहा. साथ ही उसको शिक्षा ग्रहण करने के लिए गांव में ही एक प्राइवेट स्कूल में भर्ती कराया लेकिन बीमारी के चलते कई स्कूलों से उसको निकाल दिया गया. बीच-बीच में स्कूल से छुट्टी होने के चलते ऋषभ की पढ़ाई पर भी गहरा असर पड़ रहा है. वहीं ऋषभ की मां ने आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है कि ऋषभ के ऑपरेशन के लिए उसकी मदद की जाए.


वहीं ऋषभ की बीमारी का मामला मीडिया में आने के बाद सैफई पीजीआई के वाइस चांसलर डॉ रमाकांत यादव ने ऋषभ को एक बार फिर से सैफई पीजीआई बुलाकर ऋषभ का बेहतर इलाज कराने और ऑपरेशन की भी व्यवस्था कराने की बात कही है. साथ ही इलाज को लेकर हर संभव मदद करने की भी बात कही गई है.


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