'जूते से मारने या पीटने...', BJP नेता संगीत सोम के बयान पर भड़की जयंत चौधरी की RLD
UP News: बीजेपी नेता संगीत सोम के कानून का पालन न करने वाले अधिकारियों को जनता के जूते से पिटवाने वाले बयान पर रालोद कड़ी आपत्ति जताई है. आरएलडी राष्ट्रीय महासचिव ने उनके बयान की निंदा की है.
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UP Politics: यूपी की राजनीति में इनदिनों नेताओं में विवादित बयान देने की होड़ मची हुई है. बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और मेरठ की सरधना सीट से पूर्व विधायक संगीत सोम के मुरादाबाद में कानून का पालन न करने वाले अधिकारियों को जनता के जूते से पिटवाने के बयान से बवाल मच गया है. एनडीए की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने इस पर आपत्ति जताई है और इसकी निंदा की. आरएलडी के राष्ट्रीय महासिचव राजेन्द्र शर्मा ने महबूब अली से अपने बयान के लिए माफी मांगने की बात कही है.
सपा विधायक महबूब अली के बयान पर जब राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि, महबूब अली के बयान की मैं निंदा करता हूं. मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी जानता हूं और इसलिए भी कह रहा हूं कि उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. ये भाषा साम्प्रदायिकता को ताकत भी देती है. समाज को बिगाड़ने का काम करती है ऐसी भाषा शैली हिंदू साम्प्रदायिक भी बयान देंगे इससे चीजे गलत होंगी.
संगीत सोम के बयान की निंदा की
बीजेपी के फायर ब्रांड नेता संगीत सोम का पहले एआर को धमकाने का वीडियो वायरल होने और फिर मुरादाबाद में कानून का पालन न करने वाले अधिकारियों को जनता के जूते से पिटवाने का बयान देना भी बखेड़ा खड़ा कर रहा है. आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र शर्मा से बात की गई तो बोले, मैं संगीत सोम के इस बयान की निंदा करता हूं. जूतों से पिटवाउंगा ये बयान निंदनीय है, ये किसी जनप्रतिनिधि की निशानी नहीं है. जूते से मारने या पीटने की बात करना अव्यवस्था को जन्म देगा और समाज विक्रम होगा. पता नहीं इस पद्धति को क्यों बेहतर मानते हैं.
आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि, जनतंत्र में जनप्रतिनिधियों का काम जनसमस्याओं को उठाना और जनता के खिलाफ कोई ज्यादत्ती न हो, इसका पूरा ध्यान रखना है. महात्मा गांधी ने तो यहां तक कहा था कि वाणी की बात कड़ी है तो वो भी हिंसा माना था उन्होंने. हमारा दौर स्वर्णिम दौर था और हम भी जनसमस्याओं को उठाते थे. शायद ही कभी कोई अधिकारी रहा होगा, जिसने हमारी बात सही ढंग से न सुनी हो और उस पर कार्रवाई न की हो, लेकिन हमेशा हमारी भाषा शैली समाज को जोड़ने वाली रही है तोड़ने वाली नहीं.
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