RLD Derecognized : राष्ट्रीय लोक दल की प्रदेश स्तरीय राजनीतिक दल की मान्यता रद्द होने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय (Ramashish Rai) ने इसे निर्वाचन आयोग (Election Commission) का जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले के पीछे कोई न कोई बड़ी ताकत लगी हुई है. पिछले चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और समाजवादी पार्टी (SP) का गठबंधन था. दोनों मिलकर चुनाव लड़े. अच्छी सफलता दोनों दलों को मिली.
'आश्चर्यचकित करने वाला है फैसला'
रामाशीष राय ने कहा कि चुनाव में हमारे आठ एमएलए जीते. सपा को 120 से अधिक सीटें मिलीं. दोनों दलों और नेता एक-दूसरे के प्रचार में लगे थे. परसेंटेज में दोनों की भागीदारी है. इस आधार पर फैसला होना चाहिए था. अगर, इस आधार पर फैसला होता तो हमारे दल की प्रदेश स्तर की मान्यता बरकरार रहनी चाहिए थी. रामाशीष राय ने कहा कि निकाय की घोषणा हो चुकी थी. भारत निर्वाचन आयोग को चुनाव बाद मान्यता निरस्त करने पर विचार करना चाहिए था. आयोग का फैसला आश्चर्यचकित करने वाला है.
'छोटे दलों को समाप्त करने की साजिश'
रामाशीष राय ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल नहीं चाहता कि छोटे दल पनपें. वो चाहते हैं छोटे दल समाप्त हो जाएं. उन्होंने कहा कि पिछले कई चुनाव में निर्वाचन आयोग की जो भूमिका देखने को मिल रही है, उससे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि पार्टी के चुनावी कार्यक्रम पर इस फैसले का कोई असर नहीं पड़ेगा. कार्यकर्ताओं का मनोबल बना हुआ है. हमें जो भी सिंबल मिलेगा, उसी पर लड़ेंगे. हालांकि, प्राथमिकता है कि जो सिंबल है, वही मिले.
गठबंधन के बारे में क्या बोले जानें
इस फैसले के बाद गठबंधन का स्वरूप क्या होगा? इस पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारा गठबंधन चलता रहेगा. उसमें कोई समस्या नहीं आएगी. स्थानीय निकाय चुनाव में व्यक्ति का प्रभाव होता है. सिंबल कोई मायने नहीं रखेगा. राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के जो उम्मीदवार लड़ेंगे, वो उसी सिंबल पर लड़ेंगे और जीतेंगे जो आयोग की तरफ से दिया जाएगा.
फिर प्राप्त करेंगे मान्यता
रामाशीष राय ने कहा कि इस फैसले से पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित नहीं होगा. हम फिर से पूरी ताकत लगाकर जुटेंगे और प्रादेशिक दल की मान्यता प्राप्त करेंगे. चुनाव में सपा से सीटों के फार्मूले को लेकर सवाल पर कहा कि अभी इस संबंध में कोई बैठक नहीं हुई है. पार्टी के जो उम्मीदवार हैं, उनके सबके नाम दिल्ली भेज दिए गए हैं. दोनों दलों की कमेटियां बनी हैं. जल्द ही इस पर बैठक करके फैसला लिया जाएगा.
रामाशीष राय ने किया यह दावा
क्या अब रालोद की दावेदारी कमजोर नहीं होगी? इस पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जो समस्या आएगी उसका सामना किया जाएगा. बदली परिस्थितियों में जयंत चौधरी का प्रभाव रहेगा या अखिलेश यादव की चलेगी! इस पर उन्होंने कहा कि दोनों मिलकर तय करेंगे. सम्मानजनक रूप से समझौता करेंगे, जो जहां जीत सकता है, उसे टिकट मिलना चाहिए. मिलकर लड़ेंगे तो कामयाबी हासिल करेंगे और दोनों दलों की स्थिति मजबूत होगी. उन्होंने कहा की कल—परसों में इस विषय पर बातचीत होगी.
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