Road Accident: सावधान! लोगों की लापरवही बन रही है सड़क दुर्घटना में मौत की वजह, जानें क्या कहते हैं आंकड़ें
मेरठ (Meerut) में सड़क दुर्घटनाएं न जाने कितने घरों के चिराग बुझा चुकी हैं. किसी भी चौराहे पर चले जाइये आपको ट्रैफिक सिस्टम को तोड़ते लोग नजर आ जाएंगे. ऐसे में दुर्घटनाओं का एक आंकड़ा सामने आया है.
UP News: सड़क दुर्घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. लोग भी इसके लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि वो ट्रैफिक (Traffic) रूल्स फॉलो करने को तैयार नहीं हैं. मेरठ (Meerut) में भी सड़क दुर्घटनाएं न जाने कितने घरों के चिराग बुझा चुकी हैं. मेरठ में किसी भी चौराहे पर चले जाइये आपको ट्रैफिक सिस्टम को तोड़ते लोग नजर आ जाएंगे. ज्यादातर लोग हेलमेट (Helmet) लगाने के लिए तैयार नहीं हैं. जेब्रा क्रॉसिंग (Zebra Crossing) से आगे वाहन खड़े करना तो उनकी आदत में शुमार हैं. हेलमेट न लगाने के पीछे के कारण भी चौकाने वाले होते हैं.
मेरठ में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर जरा नजर डालते हैं तो-
- 2018 में 925 दुर्घटनाएं हुई, जिनमे 394 लोगों की मौत हुई, जबकि 664 घायल हुए.
- 2019 में 880 दुर्घटनाए हुई, जिनमें 394 लोगों की मौत हुई, जबकि 591 घायल हुए.
- 2020 में 626 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 289 लोगों की मौत हुई, जबकि 415 घायल हुए.
- 2021 में 710 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 327 लोगों की मौत हुई, जबकि 488 घायल हुए.
- 2022 में 346 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 125 लोगों की मौत हुई, जबकि 349 घायल हुए.
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क्या बोले ट्रैफिक एसपी?
एसपी ट्रैफिक जितेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा 10 प्रतिशत लाने में काफी दिक्कतें आ रहीं हैं, लेकिन काफी कुछ बदला है. एक बात तो साफ है कि लोग चालान के डर और कैमरे के डर से तो कुछ दिन के लिए ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं लेकिन जिंदगी की कीमत नहीं समझते हैं. शायद इसीलिए स्थिति अभी सुधार नहीं रही है.
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