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करोड़ों के घोटाले में UPSIDA का चीफ जनरल मैनेजर अरुण मिश्रा गिरफ्तार, कारनामे जानकर हैरान रह जाएंगे आप

UPSIDA का चीफ जनरल मैनेजर अरुण मिश्रा को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया. अरुण मिश्रा पर आरोप है कि उसने चकेरी से प्रयागराज हाईवे तक बनी पाली रोड में 2.11 एक करोड़ का घपला किया है.

लखनऊ: सत्ता किसी की हो लेकिन भ्रष्टाचारी और जालसाज अफसर हर सत्ता को प्यारे होते हैं. उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी यूपीएसआईडीसी का चीफ इंजीनियर और अब UPSIDA का चीफ जनरल मैनेजर अरुण मिश्रा ऐसा ही नाम है. अरुण मिश्रा को एक बार फिर कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है. इस बार अरुण मिश्रा के ऊपर कानपुर के चकेरी में कागजों में ही रोड बनवाकर करोड़ों हड़पने हड़पने का आरोप है.

रामादेवी इलाके से किया गया गिरफ्तार प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने वाले प्राधिकरण उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य महाप्रबंधक अरुण मिश्रा को कानपुर के रामादेवी इलाके से पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अरुण मिश्रा पर आरोप है कि उसने चकेरी से प्रयागराज हाईवे तक बनी पाली रोड में 2.11 एक करोड़ का घपला किया है.

कर दिया गया भगतान दरअसल 3 किलोमीटर सड़क को 2009 में यूपीसीडा ने बनाया था, उसके आगे की 1940 मीटर की सड़क pwd ने बनवाई. अरुण मिश्रा ने अपनी पसंदीदा फर्म को पीडब्ल्यूडी की बनाई हुई सड़क का भी भुगतान कर दिया. मामले का खुलासा हुआ शासन से अभियोजन की अनुमति मिली तो अब अरुण मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया साथ ही सहायक अभियंता नागेंद्र सिंह अवर अभियंता एसके वर्मा और रिटायर्ड अधिशासी अभियंता पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है.

ये हैं कारनामे 1986 में यूपीएसआईडीसी में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर भर्ती हुआ अरुण मिश्रा ने भ्रष्टाचार और नियम कायदों से खिलवाड़ की सारी हदें कुछ ही सालों में पार कर दीं. बीते 3 दशकों से अरुण मिश्रा उत्तर प्रदेश की नौकरशाही मैं भ्रष्टाचार और कानूनी दांव पेंच से बच निकलने वाला अधिकारी गिना जा रहा है. उत्तर प्रदेश छोड़िए केंद्र सरकार की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई हो ईडी हो या फिर इनकम टैक्स सभी एजेंसियों के जांच के दायरे में अरुण मिश्रा फंस चुका है.

400 करोड़ की गाजियाबाद में हुई ट्रॉनिका सिटी घोटाले का मास्टरमाइंड भी अरुण मिश्रा था. बेहिसाब अरबों की संपत्ति और दौलत के दम पर अरुण मिश्रा ने हर कार्रवाई को कानूनी दांव पेंच में उलझाकर ताक पर रख दिया. 2007 में यूपी में मायावती सरकार आई तो सबसे पहले अरुण मिश्रा को सस्पेंड किया लेकिन उसी मायावती सरकार में अरुण मिश्रा चंद महीनों में ही न सिर्फ बहाल हुआ बल्कि यूपीएसआईडीसी में तैनात भी हो गया.

केंद्रीय जांच एजेंसी यानी सीबीआई ने 2011 में पंजाब नेशनल बैंक में 65 ऐसे बेनामी खातों को पता लगाया जिनके खाताधारक के नाम पते सब फर्जी थे लेकिन करोड़ों का लेनदेन हो रहा था. सबसे ज्यादा लेनदेन पीएनबी की विधानसभा रोड देहरादून और आर्य वानप्रस्थ आश्रम हरिद्वार की शाखा से हुआ. इन सभी खातों में 200 करोड़ से अधिक काला धन सीबीआई के सामने आया. सीबीआई ने अरुण मिश्रा को भगोड़ा घोषित करने की कार्रवाई शुरू की तो अरुण मिश्रा सीबीआई के सामने आ गया. इससे पहले यूपी एसआईटी अरुण मिश्रा को जेल भेज चुकी थी.

बेहिसाब दौलत और संपत्ति के मालिक अरुण मिश्रा के दिल्ली में पृथ्वीराज रोड स्थित बंगला हो, बाराबंकी का 52 एकड़ में फैला एशिया स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट हो या फिर बाराबंकी के ही कुर्सी रोड इंडस्ट्रियल पार्क की 60 एकड़ जमीन. यह सभी इनकम टैक्स और ईडी के रडार पर आए. इनकम टैक्स विभाग ने सील भी किया. ऐसी बेनामी संपत्ति को बनाने के लिए अरुण मिश्रा ने कोलकाता की बनी अजंता मरचेंट्स लिमिटेड को खड़ा किया जिसमें पहले पत्नी पिता और फिर बाद में अपने भाई को डायरेक्टर बनाया और बेनामी संपत्ति कंपनी के नाम करवा दी.

अरुण मिश्रा के भ्रष्टाचार और जालसाजी पर हाईकोर्ट इलाहाबाद बेंच ने अखिलेश यादव सरकार को सीधे आदेश दिया कि इसे यूपीएसआईडीसी की प्रोजेक्ट विंग के चीफ इंजीनियर के ना सिर्फ पद से हटाओ बल्कि 30 सालों में अरुण मिश्रा को दी गई सैलरी की भी रिकवरी की जाए. लेकिन पैसे के दम पर देश के नामी-गिरामी वकीलों को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में तक खड़ा करने वाला अरुण मिश्रा बड़ी अदालत से बचता गया. अरुण मिश्रा का ही रसूख था कि हाई कोर्ट देहरादून के द्वारा अरुण मिश्रा के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर रोक के आदेश के खिलाफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में अपील करना चाहती थी. 3 माह के अंदर होने वाली इस अपील के लिए सीबीआई को परमिशन ही नहीं मिली.

यही वजह थी कि सूबे में औद्योगिक विकास की जिम्मेदारी उठाने वाले यूपीएसआईडीसी में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर गया अरुण मिश्रा आज यूपीएसआईडीसी हो या फिर यूपीसीडा हर औद्योगिक विकास के विभाग में अरुण मिश्रा तैनात होता रहा है. कानपुर से हुई इस गिरफ्तारी के वक्त भी अरुण मिश्रा यूपीसिडा में मुख्य महाप्रबंधक जैसी बड़ी कुर्सी पर तैनात है.

रेत से भी भ्रष्टाचार का पानी निकाल लेने वाला अरुण मिश्रा न तो पहली बार यूपी पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया गया है और न ही पहली बार जेल जा रहा है. अब देखना ये है कि आने वाले समय में क्या होता है.

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