UP News: चंबल-चित्रकूट और इसके आसपास के इलाकों में कई मशहूर डकैत हुए हैं. जिसमें पान सिंह तोमर, पंडित लोकमान सिंह लुक्का, ददुआ आदि हैं. लेकिन हम बात करेंगे ददुआ की कहानी. ददुआ कैसा दिखता था, उसकी प्रचलित कहानियां और उसके परिवार के बारे में. ददुआ के बारे में जो सबसे ज्यादा प्रचलित कहानी है वो ये कि ददुआ को आजतक किसी ने नहीं देखा. उसको देखा गया है तो बस पुलिस की फाइलों में लगी फोटो में.  


ददुआ गरीबों का रॉबिन हुड
ददुआ चित्रकूट में जाना पहचाना एक ऐसा नाम है, जो सबकी जुबान पर रहता है. पर उसको लेकर लोगों का कभी एक मत नहीं रहा. कुछ लोग उसे 'गरीबों का रॉबिन हुड' कहते हैं, तो कुछ बड़ा शातिर अपराधी. इन सब बातों के बावजूद फतेहपुर के नरसिंहपुर कबराहा गांव में ददुआ का एक मंदिर बलाया गया है.


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किसी ने नहीं देखा ददुआ का चेहरा
ददुआ का असली नाम शिवकुमार पटेल है, जबकि उसे दुनिया ददुआ के नाम से ही जानती है. फतेहपुर के नरसिंहपुर कबराहा गांव में ददुआ के मंदिर में लगी मूर्ति और पुलिस के रिकॉर्ड में लगी फोटो के अलावा किसी ने ददुआ का चेहरा नहीं देखा है. 


ददुआ इस इलाके का एक बड़ा डकैत था, जिस पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पुलिस थानों में हत्या, डकैती और अपहरण सहित 400 मामले दर्ज थे. ऐसे खौफनाक डकैत के नाम पर भी मंदिर बनाने की वजह बताते हुए वहां उनका दर्शन करने आए हुए उमेश सिंह कहते हैं, "वह गरीबों के मसीहा थे. उन्होंने गरीबों की बेटियों और बहनों की रक्षा की थी."


ददुआ को पुलिस ने घेर लिया
स्थानीय निवासी रनकुमार शर्मा के मुताबिक हैं, "इस इलाके में ददुआ को इस मूर्ति के अलावा कभी नहीं देखा. ददुआ गरीबों का कितना मददगार था और कितना खतरनाक था, ये सब बातें आंखों देखी नहीं हैं, बल्कि सुनी-सुनाई हैं." इस मंदिर के निर्माण के बारे में बताया जाता है कि, एक बार ददुआ इस क्षेत्र में आया. दिन वह यहां आया था, तो पुलिस को उसके यहां आने की खबर मिल गई और पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया. घिरे होने के बावजूद ददुआ वहां से बच निकला. उसने मन्नत मांगी थी कि अगर वह यहां से सही-सलामत बच निकला तो यहां एक मंदिर बनवाएगा.


ददुआ के भाई और बेटे राजनीति में
ददुआ का मंदिर बनना भी इतना आसान नहीं था. मंदिर के निर्माण के समय पटेल बहुल इस क्षेत्र में ब्राह्मण समुदाय ने विरोध किया था. ददुआ को राजनीति से भी समर्थन प्राप्त था. उसके भाई बालकुमार पटेल समाजवादी पार्टी के सांसद रह चुके हैं और वह इस मंदिर के संचालक भी हैं. वहीं ददुआ के बेटे वीर सिंह मऊ मानिकपुर से विधायक रहे हैं. लोगों और पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार ददुआ 2007 में पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है. बुंदेलखंड क्षेत्र में अपनी अलग सरकार चलने वाले ददुआ के नाम को जिंदा रखने के लिए उसके भाई और बेटे ने इस मंदिर का निर्माण करवाया है. 


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