नोएडा. आरएसएस की विचारधारा को मुस्लिम समुदाय तक पहुंचाने के लिए सर संघचालक मोहन भागवत की पुस्तक 'भविष्य का भारत' का उर्दू अनुवाद किया जाएगा. उर्दू अनुवाद के जरिए आरएसएस की विचारधारा को मुस्लिम समुदाय तक पहुंचाने का काम किया जाएगा. पुस्तक का विमोचन 5 अप्रैल को दिल्ली में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल करेंगे. इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहेंगे. पुस्तक सर संघचालक मोहन भागवत के 17, 18 व 19 सितंबर 2018 को दिए गए भविष्य के भारत विषय पर व्याख्यान पर तैयार की गई है जिसमें संघचालक के सारे व्याख्यान शामिल हैं.


आरएसएस नेता राजीव तुली ने कहा कि आरएसएस सभी समुदाय की बात करता है. वसुधैव कुटुम्बकम की बात करता है. लिहाजा सभी तक हमारी विधारधारा पहुंचे हमारी कोशिश है. आरएसएस प्रमुख की किताब का तमाम भषाओं में अनुवाद हुआ है. ये सच है कि मुस्लिम समुदाय भी हमारी विचारधारा को जाने इसीलिए अब उर्दू में पुस्तक का अनुवाद हुआ है. उर्दू जानने और समझने वाले बहुत से ऐसे भी हैं जो अन्य भाषा नही जानते हैं. लिहाजा उन तक उनकी भाषा में हमारी बात पहुंचे ये कोशिश है, जब अल्पसंख्यक समुदाय ये किताब पढ़ेगा तो बेहतर तरीके से आरएसएस को समझ सकेगा.


वहीं, इस पुस्तक का अनुवाद करने वाले राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के निदेशक अकील अहमद ने कहा कि मैंने यही सोचकर पुस्तक का उर्दू अनुवाद किया है कि जो मुस्लिम समुदाय के अंदर आरएसएस को लेकर गलत सोच है. मन मे गलत भाव है. वो इस किताब को पढ़कर आरएसएस को जाने. मोहन भागवत ने कहा है हिंदुत्व का मतलब ये नहीं है कि मुसलमान उससे अलग है. हिंदुत्व सबको समाहित करता हैं.


आरएसएस प्रमुख ने कहा है कि आरएसएस को लेकर खूब भ्रांतिया है. आरएसएस को जानना है तो मुस्लिम भी शाखा में आएं और हिंदुओं को भी इस्लामिक साहित्य पढ़ना चाहिए. आरएसएस की विचारधारा उसकी देश और अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति सोच ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों तक पहुंचे इसीलिए इस किताब का अनुवाद किया गया है. जो मुसलमान तरक्की पसंद हैं और जो मुसलमान बदलाव चाहते हैं वो जरूर आरएसएस को समझेंगे.


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