Aligarh News Today: आरएसएस के मुखपत्र पाञ्चजन्य ने अपने एक संपादकीय में मोहन भागवत के हालिया मंदिर-मस्जिद बयान को सही ठहराया है. इसको लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष और मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती जाहिद अली खान का बयान सामने आया है.
मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती जाहिद अली खान ने कहा कि मोहन भागवत का बयान हिंदू धर्म और हमारे देश के हित में है और एक देश से सच्ची मोहब्बत करने की दलील भी है. इसलिए क्योंकि इसे एक तमाशा और खेल बना दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जिस चीज के लिए मोहन भागवत ने कहा था, उनकी राय थी. हमें उससे इत्तेफाक तो नहीं है कि राम मंदिर जो है वह एक एक्सेप्शनल केस था ऐसा आगे और नहीं होगा. वह हमने कर लिया. अब इसके बाद नहीं होगा. यह उस वादे के मुताबिक है.
मुफ्ती जाहिद अली ने क्या कहा?
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष मुफ्ती जाहिद अली खान ने कहा, "शरीफ इंसान जो वादा करता है, वह निभाता है. मैं उनके इस बयान की तारीफ करता हूं और उनको कद्र की निगाह से देखता हूं." उन्होंने कहा, "यह हमारे पुरजोश किस्म के लोग हैं, जिनको देश की, हिंदू धर्म, समाज या आजादी की परवाह नहीं है. वह देश को गुलामी से बचाना या उसे गुलामी में डालने के बारे में नहीं सोचते हैं. उन्हें यह सोचना चाहिए कि यह हरकत देश में फूट डाल देगी. इसका नतीजा आपसी भेदभाव होगा."
मुफ्ती जाहिद अली खान ने कहा, "दिल टूटेंगे तो आपस में मन मुटाव होगा. लड़ाई झगड़े होंगे और देश की आजादी को खतरा पैदा होगा. हुकूमत में बैठे कुछ लोग हैं जो इस तरह की चीजों को इसलिए हवा दे रहे हैं कि वह इस मुल्क के लोगों की या शरीअत को लूटना चाहते हैं."
'90% आबादी के हुकूक पर डालने...'
इस दौरान मुफ्ती जाहिद अली ने मीडिया पर भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा, "एससी, एसटी, ओबीसी की पूरे देश में तकरीबन 70 फीसदी आबादी है. इसके अलावा 20 फीसदी अल्पसंख्यक भी हैं." मुफ्ती जाहिद अली ने कहा, "देश की इस 90 फीसदी आबादी के हुकूक (अधिकारों) पर डाका डालने वाला एक छोटा सा तबका है और उन्हीं के हाथ में मीडिया है. उन्हीं के हाथ में सोशल मीडिया, तमाम प्रिंट मीडिया और सियासी बागडोर भी है."
जाहिद अली ने आगे कहा, "उन्हें लूटते लूटते मजा आने लगा है. इसलिए वह चाहते हैं कि लोग अपने हुकुक की बात ना करें. लोग अपने मसाइल (समस्याओं) को ना उठाएं. उनके सामने तालीम, रोजगार और सेहत का मसला है और साथ में जो उनकी दूसरी परेशानियां हैं, उन पर बात ना हो." उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "हिंदू मुस्लिम और इस तरह के दूसरे मुद्दों के जरिये वह अपनी लूट को जारी रखना चाहते हैं. वे अपनी खास जहनियत के तहत काम कर रहे हैं. वह किसी धर्म या इंसानियत को नहीं मानते हैं, वह लुटेरे हैं और वह हिंदू धर्म के भी दुश्मन हैं."
'भागवत के पद की है अपनी गरिमा'
एक अन्य मुस्लिम धर्मगुरु मोहम्मद उमैर ने कहा कि मोहन भागवत के बयान का पूरे सेक्युलर और मुस्लिम समाज समेत सब लोगों ने स्वागत किया. उन्होंने कहा कि बड़ा अफसोस तब हुआ जब आरएसएस के मुख्यालय से निकलने वाली किताब में लिखा गया कि यह इतिहास खोजने का समय है. हमें लगा कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है.
मुस्लिम धर्मगुरु मोहम्मद उमैर ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर वह चाहते हैं कि मस्जिदों में शिवलिंग और मंदिरों की खोज करने वालों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करे, तो ऐसा होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मोहन भागवत का पद संवैधानिक नहीं होते हुए भी उसकी गरिमा है और अगर वह इस मामले में सरकार से कार्रवाई की मांग करेंगे, तो कार्रवाई भी होगी. उमैर ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ तथाकथित साधु संत अब मोहन भागवत को पहले जैसा सम्मान नहीं दे रहे हैं, जो हिंदू समुदाय में उन्हें पहले मिलता था.
पाञ्चजन्य ने किया समर्थन
दरअसल, हाल में आरएसएस के मुखपत्र पाञ्चजन्य मोहन भागवत के मंदिर मस्जिद के बयान का समर्थन करते हुए एक संपादकीय लिखा है. जिसमें कहा गया है कि "मोहन भागवत के बयान में समाज से विवेकशील दृष्टिकोण अपनाने का स्पष्ट आह्वान है. यह ठीक भी है. मंदिर हिंदुओं की श्रद्धा के केंद्र हैं, लेकिन इन्हें राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना कतई स्वीकार्य नहीं है."
पाञ्चजन्य ने अपने संपादकीय में आगे लिखा, "आज के दौर में मंदिरों से जुड़े विषयों पर अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार को बढ़ावा देना एक चिंताजनक प्रवृत्ति है. सोशल मीडिया ने हल्ला-हंगामे के इस चलन को और बढ़ाया है." संपादकीय में आगे लिखा है, "मंदिरों की ‘खोज’ को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत करना शायद मीडिया के लिए भी एक ‘ट्रेंड’ और मसाला बन गया है."
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