संगम तट पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने की पूजा-अर्चना, गंगा को बताया भारत की जीवनधारा
प्रयागराज पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि गंगा से भौतिक जीवन में उन्नति की जा सकती है और साथ ही संस्कार और संस्कृति वाले जीवन को अपनाया जा सकता है. उन्होंने कई बार ये दोहराया कि गंगा भारतवर्ष की जीवनधारा है.
प्रयागराज: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रयागराज के संगम पर मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कही जाने वाले गंगा की पूजा-अर्चना की. उन्होंने मां गंगा की आरती की और दीपदान किया. साथ ही उन्होंने नारियल और फूल भी चढ़ाए. मोहन भागवत ने इस मौके पर संगम पर मौजूद लोगों को गंगा का महत्व बताया और उन्हें तमाम नसीहतें भी दीं. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि गंगा सिर्फ आस्था का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि ये भारत के लोगों की जीवनधारा की भी प्रतीक है. गंगा की पवित्र अविरल धारा जब तक चलती रहेगी, तब तक जीवन का प्रवाह भी चलता रहेगा.
गंगा भारतवर्ष की जीवनधारा है मोहन भागवत के मुताबिक गंगा को उसका पुराना गौरव वापस दिलाने और उसकी धारा को अविरल और निर्मल करने के लिए समग्र प्रयास किए जाने की जरूरत है. अगर हर कोई अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निभाएगा तो गंगा भौतिक तरीके से हम सभी के जीवन में संपन्नता लाती रहेगी. अपने 10 मिनट के भाषण में मोहन भागवत ने लोगों को ये संदेश दिया कि गंगा सिर्फ एक नदी या आस्था की प्रतीक ही नहीं है, बल्कि ये कई दूसरे तरीकों से भी हमें फायदा पहुंचाती हैं. चाहे वो रोजगार का क्षेत्र हो या पर्यटन का. गंगा से भौतिक जीवन में उन्नति की जा सकती है और साथ ही संस्कार और संस्कृति वाले जीवन को अपनाया जा सकता है. उन्होंने कई बार ये दोहराया कि गंगा भारतवर्ष की जीवनधारा है.
दो दिनों के दौरे प्रयागराज पहुंचे संघ प्रमुख संघ प्रमुख मोहन भागवत दो दिनों के प्रयागराज दौरे पर हैं. उन्हें संघ के अनुषांगिक संगठन गंगा समग्र के कार्यकर्ता समागम समारोह में शामिल होना है. दो दिनों के इस कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम दिन कल वो मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. गंगा समग्र का ये अभियान माघ मेला क्षेत्र में विश्व हिंदू परिषद के कैंप में आयोजित हो रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि समापन भाषण में संघ प्रमुख यहां से भी गंगा की दशा और दिशा सुधारने के लिए देशवासियों को कोई बड़ा संदेश दे सकते हैं.
लोगों को दी नसीहत प्रयागराज के संगम पर दिए गए संक्षिप्त भाषण में उन्होंने सरकार से कोई अपेक्षा नहीं की. इस तरह से उन्होंने इशारों में ही मोदी सरकार की तरफ से गंगा को लेकर किए जा रहे कामों पर अपनी मुहर भी लगा दी. उन्होंने इशारों में ये भी नसीहत दी कि गंगा की धारा को अविरल और निर्मल करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं है बल्कि लोगों की भी है. जन सहभागिता के जरिए ही गंगा के महत्व को और बढ़ाया जा सकता है और साथ ही उससे और ज्यादा फायदा भी लिया जा सकता है.
महंत नरेंद्र गिरि भी रहे मौजूद दो दिनों के प्रयागराज प्रवास के पहले दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत एयरपोर्ट पहुंचे. यहां से सीधे माघ मेला क्षेत्र से सटे झूसी इलाके में स्थित संघ के दफ्तर गए और यहां चुनिंदा लोगों से मुलाकात की. इसके बाद वो संगम पहुंचे और यहां मां गंगा की विशेष आरती, पूजा-अर्चना करते हुए दीपदान किया. इस मौके पर जगतगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि भी मौजूद थे. मोहन भागवत के पूजन कार्यक्रम के लिए संगम पर विशेष मंच बनाया गया था.
मंदिर आंदोलन में प्रयागराज का अहम स्थान वैसे कहने को तो मोहन भागवत का ये संघ को समर्पित दौरा है, लेकिन प्रयागराज के 2 दिनों के इस दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत होने के बाद उन्होंने पहली बार संगम पहुंचकर यहां की धरती और मां गंगा का आभार जताया है. दरअसल, प्रयागराज के कुंभ और माघ मेलों में कई बार राम मंदिर निर्माण को लेकर धर्म संसद और संत सम्मेलन के आयोजन किए गए थे. इसके साथ ही मंदिर निर्माण के लिए कई आंदोलनों का केंद्र बिंदु भी प्रयागराज रहा था.
बजरंग बली के किए दर्शन मंदिर से जुड़े प्रयागराज के कई कार्यक्रमों में खुद मोहन भागवत ने भी कई बार शिरकत की थी. माना जा रहा है संगम की रेती पर पहुंचकर और मां गंगा की विशेष आरती और पूजा-अर्चना कर उन्होंने तीर्थराज प्रयाग और गंगा मैया का आभार जताया है और उनसे मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द और बिना किसी बाधा के पूरा होने की कामना भी की. मोहन भागवत ने संगम स्थित लेटे हुए हनुमान मंदिर में बजरंग बली के दर्शन कर उनकी पूजा अर्चना भी की.
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