Mohan Bhagwat News: मोहन भागवत अवध प्रांत में चार दिवसीय प्रवास पर थे. इस दौरान सोमवार को अपने प्रवास के अंतिम दिन उन्होंने शिक्षा, वकालत, सेना, कृषि, चिकित्सा और पत्रकारिता समेत अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों से संवाद किया. इस संवाद का आयोजन दो चरणों में हुआ.
राजधानी लखनऊ के सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दूसरे चरण में मोहन भागवत से सेना और कुछ अन्य क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने कहा की वह राजनीति या किसी पार्टी से नहीं जुड़ना चाहते हैं. इस पर भागवत ने कहा कि संघ भी राजनीतिक संगठन नहीं है. उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक समाज में बदलाव के लिए कई अच्छे कार्य कर रहे हैं और प्रबुद्ध जन उनमें सहयोगी हो सकते हैं.
किसने लिया संवाद कार्यक्रम में हिस्सा
संघ प्रमुख के संवाद कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े लोग उनसे मिलने आए. इसमें एसजीपीजीआई के निदेशक डॉक्टर आरके धीमान, केजीएमयू के बाल शल्य रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एसएन कुरील, दांत संकाय के डॉक्टर मोहम्मद शादाब, सीएमएस के अध्यक्ष जगदीश गांधी, पद्मश्री डॉक्टर एसएम सरकार, पत्रकार के विक्रम राव व रामदत्त त्रिपाठी, पद्मश्री विद्या विंदू ,डॉक्टर पूर्णिमा पांडेय, किसान कलीमुल्ला, अधिवक्ता एसके कालिया और सेना के अधिकारी सहित तमाम लोग संवाद कार्यक्रम में पहुंचे.
मोबाइल फोन के कारण संस्कार से दूर हो रहे बच्चे
मोहन भागवत में अपने संबोधन में कहा कि प्रबुद्ध जन सामाजिक विसंगतियों को दूर करने में सहभागिता निभाएं. उन्होंने प्रबुद्ध जनों से संवाद में राष्ट्र की उन्नति, सामाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति की रक्षा पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जाति प्रथा, भेदभाव समेत आदि विसंगतियों को दूर करने के लिए समाज को एकजुट करना होगा.
बच्चों में संस्कारों की कमी पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन से बच्चों के संस्कार दूर हो रहे हैं, उनका बचपन खराब हो रहा है. उन्होंने शिक्षाविद और चिकित्सा क्षेत्र के लोगों से समस्या के समाधान के लिए अभिभावकों को जागरूक करने का आह्वान किया. एक सवाल का जवाब देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि शिक्षा में तीन भाषा नीति लागू होनी चाहिए एक मात्र भाषा, एक भारतीय भाषा और तीसरी अन्य भाषा हो सकती है.