भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए करना होगा प्रयास, विरासत में मिली हिंदू संस्कृति: मोहन भागवत
मुरादाबाद के एमआईटी मैदान में एकत्र हुए हजारों लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि विरासत में हमें हिंदू संस्कृति मिली। आपस मे प्रेम में रखना हमारी आदत होनी चाहिए।
मुरादाबाद, एबीपी गंगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा कि संघ एकता की विविधता के रास्ते मंजिल तक पहुंचने का काम करता है। देशवासियों के बीच आपस में समन्वय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब संघ हिंदू समाज कहता है तब वह किसी पंथ को, भाषा को, प्रांत को, जाति को अलग नहीं मानता।
भागवत ने कहा कि जो समर्थ है वह खाएगा और जिलाएगा। यही हमारा शाश्वत धर्म है। उन्होंने कहा कि एक संस्कृतिक को मान के चलने वाला ही हिन्दू है और देश की 130 करोड़ जनता पर इसका प्रभाव है। उन्होंने कहा कि एक दूसरे का सम्मान करें। हम भी सही हैं और तुम भी सही हो का भाव रहे। देश में कट्टरता नहीं हो। वे यहां पर संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे।
मुरादाबाद के एमआईटी मैदान में एकत्र हुए हजारों लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि विरासत में हमें हिंदू संस्कृति मिली। आपस मे प्रेम में रखना हमारी आदत होनी चाहिए। जो लोग भी हमारी सांस्कृतिक मानें वो हिंदू हैं चाहे उनकी पूजा करने की पद्धति अलग ही क्यों न हो या वो भाषा कोई भी क्यों न बोलता हों। हम देश के 130 करोड़ लोगों में निष्ठा का माहौल बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
संघ प्रमुख ने कहा कि स्वयंसेवक हर व्यक्ति के मन में हिंदुत्व का भाव जगाएं। किसी भी व्यक्ति की पहचान उसकी जाति से नहीं बल्कि हिंदू से होनी चाहिए। इसकी शुरुआत अपने घर और कार्यक्षेत्र से करें। घर में काम करने वाली बाई हो या ड्राइवर, सफाई कर्मचारी या कपड़े धोने वाला। उसे सहजता से हिन्दुत्व की विधारधारा से जोड़ें। मलिन बस्तियों में जाकर उनका दर्द समझें और घुल-मिल जाएं। उनके साथ भोजन करें। उन्हें हिंदू होने पर गर्व करवाएं।