(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP: मोहन भागवत के बयान पर छिड़ी बहस, आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा- 'उन्होंने नहीं पढ़ी होगी गीता'
जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि मोहन भागवत ने जो कहा है वो अशास्त्रीय और मन मुखी है. मैं आरएसएस जैसे देशभक्तों का संगठन बहुत आदर करता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो वह बोलेंगे वह सब सही है.
UP News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक (RSS) संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान को लेकर अब रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के बाद श्रीमद्भागवत गीता को लेकर बहस शुरू हो गई है. मोहन भागवत के बयान बयान पर साधू संतो की प्रतिक्रिया आ रही है. अयोध्या (Ayodhya) केे श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das) ने सीधे-सीधे कहा "मोहन भागवत ने कभी गीता पढ़ी नहीं होगी अगर पढ़ी होती तो इस प्रकार से नहीं कहते. चार वर्णों में विभाजन भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं किया है. अगर उन्हें नहीं पता तो गीता पढ़ ले ब्राह्मणों ने जातियों का विभाजन नहीं किया. बल्कि सामाजिक व्यवस्था के संचालन के लिए खुद भगवान ने सृष्टि में चार वर्णों को कर्मों के अनुसार विभाजित किया है."
उन्होंने कहा कि जातियों में विभाजन और फूट राजनीतिक नेताओं और पार्टियों ने अपने लाभ के लिए डाली. क्योंकि विधायक और सांसद को टिकट देते समय देखा जाता है कि उनके क्षेत्र में कौन सी जातियों की संख्या अधिक है. इससे नेताओं और पार्टियों को लाभ मिलता है. आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि उन्होंने गीता पढ़ी होती तो भगवान की वाणी को वो इस प्रकार से वह नहीं कहते. सामाजिक व्यवस्था के संचालन के लिए भगवान श्री कृष्ण ने सृष्टि को चार वर्णों में विभाजन स्वयं किया है अगर नहीं पता तो गीता पढ़ लें. ये विभाजन गुण और कर्मों के अनुसार किया गया है. जो पूजा पाठ करने वालों को उनको ब्राह्मण और रक्षा करने वालों को क्षत्रिय कहा गया. इसी तरह व्यापार करने वालों को वैश्य और सेवा करने वाले शूद्र कहे गए.
जगतगुरु परमहंस आचार्य ने दी RSS प्रमुख को चेतावनी
उन्होंने कहा कि इसलिए ये कहना ब्राह्मणों ने जाति व्यवस्था का विभाजन किया है. ये गलत है. ये विभाजन नेताओं की देन है. जातियों के जितने भी विभाजन किए गए सब नेताओं और पार्टियों ने किए. ब्राह्मणों ने नहीं. वहीं तपस्वी छावनी के जगतगुरु परमहंस आचार्य ने सीधे-सीधे मोहन भागवत को गीता दिखाते हुए शास्त्रार्थ की चुनौती दी है. "उन्होंने कहा मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत जी को मैं शास्त्रार्थ की चुनौती भी देता हूं कि आपस में बैठकर शास्त्र पर चर्चा कर ले शास्त्रार्थ मतलब लड़ना नहीं होता हैं. शास्त्रार्थ मतलब होता है कि शास्त्रीय विचार पर आपसी चर्चा."
जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि मोहन भागवत ने जो कहा है वो अशास्त्रीय और मन मुखी है. मैं आरएसएस जैसे देशभक्तों का संगठन बहुत आदर करता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो वह बोलेंगे वह सब सही है. अगर शास्त्र के विरुद्ध बोलेंगे तो उसको गलत कहा जाएगा. उन्होंने गीता का 13 वां श्लोक पढ़ते हुए कहा कि इसमें साफ तौर पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि चारों वर्ण मैंने बनाए हैं. गीता तो गलत नहीं हो सकती. मोहन भागवत का बयान ही गलत है. वर्णों की व्यवस्था सृष्टि के संचालन के लिए बनाई गई है. इसे पंडितों ने नहीं बनाया है. इसे भगवान ने बनाया है. उन्होंने कहा कि मैं मोहन भागवत का बहुत आदर करता हूं. लेकिन वो गतल बोलेंगे तो हम उसका विरोध करेंगें.
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