रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में बनाए गए देवस्थानम बोर्ड को सरकार ने भंग कर दिया है. जिसके बाद केदारघाटी में तीर्थ पुरोहित समाज, व्यापारियों एवं स्थानीय लोगों ने रैली निकालकर धामी सरकार जिंदाबाद के नारे लगाए. इस दौरान सभी ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई भी दी. वहीं कांग्रेस नेताओं ने भी बोर्ड को भंग किए जाने की घोषणा पर इसे तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों के संघर्षो की जीत बताया है.


सीएम पुष्कर सिंह धामी ने की घोषणा


बता दें कि दो साल पहले त्रिवेन्द्र सरकार में देवस्थानम् बोर्ड का गठन किया गया था, जिस पर तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों ने आपत्ति जताई थी. इसके गठन के बाद से उन्होंने चारोंधामों से लेकर जिला मुख्यालय और देहरादून तक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था.प्रदर्शन को बढ़ते हुए देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों से एक महीने का वक्त मांगा था. और आज सुबह से ही तीर्थ पुरोहित समाज सीएम की घोषणा का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने की घोषणा सीएम ने की, तीर्थ पुरोहितों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी.




तीर्थ-पुरोहित ने लगाए सरकार जिंदाबाद के नारे


वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उत्तराखण्ड दौरे से पहले सीएम धामी के इस फैसले पर तीर्थ पुरोहितों ने खुशी जताई है. केदारघाटी के ऊखीमठ एवं गुप्तकाशी में तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी, व्यापारी एवं स्थानीय जनता ने रैली निकालकर पुष्कर सिंह धामी के जिंदाबाद के नारे लगाए और प्रदेश सरकार का आभार जताया. तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी, राजकुमार तिवारी और तेजप्रकाश त्रिवेदी ने कहा कि तत्कालीन त्रिवेन्द्र रावत की सरकार में देवस्थानम् बोर्ड को लागू किया गया, जिसके बाद से तीर्थ पुरोहित आंदोलन कर देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अभी धामी सरकार ने बोर्ड को भंग करने की घोषणा की है. लेकिन जब तक कैबिनेट के साथ विधानसभा में बिल लाकर देवस्थानम् बोर्ड एवं एक्ट को भंग करने को लेकर सरकार द्वारा प्रस्ताव नहीं लाया जाता, तब तक प्रदेश सरकार को इसका श्रेय नहीं दिया जायेगा.


बिना सोचे-समझे फैसला लेती है भाजपी – सूरज नेगी


वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि लंबे वक्त से देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों द्वारा लगातार संघर्ष जारी था, जिस पर उत्तराखंड सरकार द्वारा तीर्थ पुरोहितों की अनदेखी की जा रही थी. अपनी मांग को मनवाने के लिए तीर्थ पुरोहितों को चारों धामों में कप कपाती ठंड के बीच भी आवाज को बुलंद करना पड़ा. जिसके चलते राज्य की भाजपा सरकार को अपने अहंकारी निर्णय को वापस लेना पड़ा और आखिर इस संघर्ष में तीर्थ पुरोहितों एवं हकहकूक धारियों की विजय हुई और उत्तराखंड की घमंडी भाजपा सरकार की हार हुई. इससे ये भी साबित होता है कि भाजपा सरकार कोई भी फैसला सोच-समझकर नहीं लेती. सत्ता के नशे में चूर होकर राज्य की जनता को उलझन में फंसाए रखने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लिए जाते हैं, जिसका ताजा उदाहरण देवस्थानम बोर्ड है.


ये भी पढ़ें-


Kanpur News: कानपुर में आयुष अस्पताल का काम हुआ पूरा, जल्द होगा लोकार्पण, लोगों को मिलेगी ये सुविधाएं


छत्तीसगढ़ में कल से शुरू होगी धान की खरीद, साढ़े 22 लाख से ज्यादा किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन