Rudraprayag Land Treatment: आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील उत्तराखंड (Uttarakhand)  में भूस्खलन को रोकने के लिए जापानी तकनीक से करीब 32 करोड़ की लागत स्थायी ट्रीटमेंट का बनाने का काम किया जा रहा है. इसके लिए मॉडल के तौर पर रुद्रप्रयाग समेत प्रदेश के तीन स्थानों पर काम चल रहा है. एक अनुमान के मुताबिक यह काम डेढ़ साल में पूरा हो जाएगा. उत्तराखंड फॉरेस्ट रिसोर्स मैनेजमेंट प्रोजेक्ट (Uttarakhand Forest Resource Management Project) के तहत रुद्रप्रयाग वन विभाग (Rudraprayag Forest Deparment)  द्वारा जापान की मदद से भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के स्थायी मरम्मत का काम किया जा रहा है.


पहले चरण में मॉडल के तौर पर जवाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में वैज्ञानिकों की मदद से प्रभावित क्षेत्र की मरम्मत की जा रही है. यहां चार हेक्टेयर क्षेत्र को भूस्खलन से बचाने का काम किया जा रहा है. जापानी तकनीक के तहत भूस्खलन क्षेत्र में मिट्टी के धंसाव को रोकने को लेकर आरसीसी पुश्ता बनाया जा रहा है. साथ ही पूरे क्षेत्र में शार्टकट के माध्यम से वायरनेट लगाई जा रहा है, जिसके बीच में घास उगाई जाएगी जो मिट्टी के कटाव को रोकने के साथ उसकी परत को मजबूत करेगी. सड़क से लगे भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में लकड़ी के उपयोग के साथ ही बरसाती पानी की निकासी के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे. 


गढ़वाल-कुमाउं के इन क्षेत्रों का चुनाव
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में योजना के तहत पहले चरण में स्थायी ट्रीटमेंट के लिए गढ़वाल और कुमाऊ में तीन मॉडल भूस्खलन और भू-धंसाव क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं, जहां पर काम चल रहा है. गढ़वाल में ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पर नरेंद्रनगर वन प्रभाग के शिवपुरी रेंज में नीर गाड़, रुद्रप्रयाग वन प्रभाग में दक्षिण जखोली रेंज में जवाड़ी और कुमाऊं मंडल में नैनीताल वन प्रभाग में कैंचीधाम के नजदीक पाडुली भूस्खलन जोन की जापानी तकनीक से मरम्मत की जा रही है. उन्होंने बताया कि रुद्रप्रयाग मुख्यालय में प्रभागीय कार्यालय के नजदीक ही भूस्खलन क्षेत्र का जापानी तकनीक से ट्रीटमेंट किया जा रहा है. आने वाले समय में अन्य भूस्खलन और भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर जापानी तकनीक से मरम्मत की योजना बनाई जाएगी.


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