Uttarakhand: उत्तर और दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनेगा कार्तिक स्वामी मंदिर, पर्यटन विभाग की पहल
कार्तिकेय स्वामी मंदिर में भव्य 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. दक्षिण भारत से आए 6 प्रमुख संतों के साथ ही प्रसिद्ध ड्रम वादक शिवमणि भी आयोजन में शामिल हुए.
Uttarakhand News: उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर कार्तिक स्वामी अब उत्तर और दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनेगा. पर्यटन विभाग ने योजना को धरातल पर उतारने की शुरुआत कर दी है. दक्षिण भारत में मुरुगन स्वामी नाम से मशहूर भगवान कार्तिकेय का रुद्रप्रयाग के कौंच पर्वत पर सुंदर प्राचीन मंदिर स्थापित है. कहा जाता है कि कौंच पर्वत पर भगवान कार्तिकेय ने कई वर्षों तक साधना की थी. भगवान गणेश की प्रथम पूजा का अधिकार देने पर भगवान कार्तिकेय माता पिता से नाराज होकर अस्थियों का त्याग किया था. पर्यटन विभाग की ओर से अब इस मंदिर को उत्तर और दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनाने की कवायद की जा रही है. दक्षिण भारत के मंदिरों से भगवान का वस्त्र कार्तिक स्वामी मंदिर में लाया गया. कार्तिक स्वामी मंदिर से भगवान कार्तिक के वस्त्रों को दक्षिण भारत में मुरुगन स्वामी की मूर्तियों को भेजा जाएगा. पहल भविष्य में कार्तिक स्वामी मंदिर की लोकप्रियता में चार चांद लगा सकती है.
कार्तिकेय स्वामी मंदिर के बारे में जानिए
मंगलवार को उत्तराखंड पर्यटन विकास की ओर से जनपद के क्रौंच पर्वत पर कार्तिकेय स्वामी मंदिर में भव्य 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन का आयोजन किया गया. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत, दक्षिण भारत से आए शिवाचार्य और गुरुजनों ने पूजा अर्चना की. इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख से पूजा-हवन और दक्षिणावर्त से स्वामी कार्तिकेय का जलाभिषेक किया गया.
उन्होंने बताया कि पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद कार्तिकेय स्वामी यहां पर पहुंचे तो गणेश को श्रेष्ठ पद दिया गया. जिसके बाद कार्तिकेय ने अपनी मां पार्वती से नाराज होकर यहां पर तपस्या की. उन्होंने कहा कि इसके बाद कार्तिकेय दक्षिण भारत को चले गए. दक्षिण भारत में उनकी मुरूगन स्वामी के नाम से आराधना की जाती है. उन्होंने कार्तिक स्वामी मंदिर और कार्तिकेय स्वामी के जीवन के बारे में विस्तार से बताया.
पर्यटन सर्किट से जोड़ने की है कवायद
उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में कार्तिकेय स्वामी का एकमात्र मंदिर है. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में तमिलनाडु और कर्नाटक में भगवान कार्तिकेय के बहुत अनुयायी हैं. धार्मिक अनुष्ठान में दक्षिण के शिवाचार्य आए हैं. अनुयायियों ने देश के विकास की कामना की. उन्होंने कहा कि अगस्त्यमुनि के अगस्त्य ऋषि, कार्तिकेय स्वामी मंदिर और अनसूया मंदिर को पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाएगा और पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा.
कार्तिकेय स्वामी मंदिर के विकसित होने से स्थानीय स्तर पर भी रोजगार का अवसर उपलब्ध होगा. कार्तिकेय मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने पर सभी शिवाचार्य, गुरुजनों और भक्तजनों का आभार व्यक्त किया.
केदारनाथ की विधायक शैला रानी रावत ने कहा कि उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों के लिए ऐतिहासिक मिलन का दिन है. उन्होंने कार्तिकेय स्वामी को पांचवें धाम के रूप में विकसित किए जाने और कार्तिक सर्किट बनाए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने पर लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर होगा.
कार्तिक स्वामी के मिलन कार्यक्रम में दक्षिण भारत से आए 6 प्रमुख संतों के साथ प्रसिद्ध ड्रम वादक शिवमणि भी शामिल हुए. पर्यटन विभाग कार्तिक स्वामी को उत्तराखंड के पांचवें धाम के रूप में विकसित करने की भी तैयारी कर रहा है. कार्यक्रम में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कार्तिक स्वामी क्षेत्र को देख दक्षिण भारत की हस्तियां भी गदगद दिखीं.
इस अवसर पर ड्रोन कैमरे के माध्यम से श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई. पदमश्री शिवमणि ने साथियों संग प्रस्तुति दी. इस मौके पर शिवाचायों, गुरुजनों और अतिथियों को सम्मानित भी किया गया. कार्तिक स्वामी मंदिर में दक्षिण भारत से तीर्थाटन की अपार संभावनाएं हैं. पर्यटन विभाग ने इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए अपने कदम बढ़ाये हैं.
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